
-गलत रिपोर्ट देने में सील किए गए अल्ट्रासाउंड सेंटर की दोबारा जांच का विरोध कर रहे दम्पति
गोरखपुर। गर्भस्थ शिशु की गलत रिपोर्ट देने के मामले में चार डाक्टरों मुकदमा दर्ज है और उनके अल्ट्रासाउंड सेंटर सील कर दिए गए हैं। मुकदमे वापस करने, अल्ट्रासाउंड सेंटरों की सील खोलने व नए सिरे से जांच के लिए दोबारा मेडिकल बोर्ड गठित करने की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) मांग कर रहा है। इस मांग के विरुद्ध नवजात के माता-पिता ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा है कि नया मेडिकल बोर्ड गठित होने पर रिपोर्ट बदलवाई जा सकती है। यदि अल्ट्रासाउंड सेंटरों की सील खोली जाती है तो उसके पूर्व हमें बच्चे के साथ इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दी जाए।
पिपरौली के देईपार निवासी नवजात के पिता अभिषेक पांडेय व माता अनुराधा पांडेय बच्चे के साथ सोमवार को प्रेसक्लब सभागार में पत्रकारों से मुखातिब थीं। उन्होंने कहा कि हमारे गांव के लोगों से हमारे बारे में जानकारी इकत्र की जा रही है।
ऐसे में हम पर हमला कराया जा सकता है। उन्होंने आइएमए से दोषी डाक्टरों को बचाने की बजाय दिव्यांग नवजात के प्रति न्याय की भावना रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि आइएमए यदि कह रहा है कि गर्भस्थ शिशु के फोर लिंब (हाथ-पैरों) को पकडऩे में अल्ट्रासाउंड मशीनें सिर्फ 18 फीसद ही सक्षम हैं, तो जांच की अनुमति भारत में क्यों दी गई और इस जांच पर डाक्टर क्यों भरोसा करते हैं ? डाक्टरों की लापरवाही से दिव्यांग बच्चे को आजीवन हंसी का पात्र बनकर रहना पड़ेगा। उसे व पूरे परिवार को मानसिक वेदना मिलती रहेगी।
यह है मामला
नवजात का जन्म पूर्व चार अल्ट्रासाउंड सेंटरों से अल्ट्रासाउंड कराया गया। सभी में रिपोर्ट सामान्य आई। जब बच्चा पैदा हुआ तो उसका एक हाथ नहीं है और सिर भी असामान्य है। इस मामले में मेडिकल बोर्ड ने चारो डाक्टरों को दोषी माना है। उनके अल्ट्रासाउंड सेंटर सील कर दिए गए हैं।










