आपदा के दो वर्ष बाद भी नहीं सुधरे हालात

आपदा प्रभावित 22 गांव के ग्रामीण जान जोखिम में डाल कर सफर कर रहे

भास्कर समाचार सेवा

मोरी। आपदा के एक साल 10 माह व 22 दिन बाद भी हालात इस कदर हैं कि क्षेत्र की मुख्य सड़क आराकोट, टिकोची व चिंवा मोटर मार्ग पर हल्की बारिश में भी वाहनों आवाजाही में डर लगता है। वहीं दुचाणु, किराणु व हिमाचल के सिलोडी समेत दर्जनों गांव को जोड़ने को नगवाडा, दुचाणु मोटर पुल व चिंवा-जागटा-मोंडा सड़क व पुलों के इतने बुरे हाल हैं कि दो वर्षों से आपदा प्रभावित 22 गांव के ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है।

 उधर ग्रामीणों 2019 अगस्त माह की आपदा का दंश रह रहकर अब हर समय बरसात के तीन महिनें डर के साये में काटनें को मज बूर हैं, चिवां के जितेंद्र सिंह, मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि पीडितों का तीन बार शिष्टमंडल मुख्यमंत्री को मिलकर क्षतिग्रस्त सडको, पुलो, पैदल मार्गों के पुनर्निर्माण की मांग कर चुका है किंतु अभी तक आश्वासन ही मिला है।
     ग्रामीणों ने कहा कि जल्दी ही 22 गांव आपदा पीड़ितों की बैठक बुलाकर आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी व हिमाचल-आराकोट मार्ग पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही आगामी चुनाव में भी किसी भी प्रतिनिधि को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा।
  चिंवा, मोडा, टिकोची, मोल्डी, जागटा, किराणु, दुचाणु, गोकुल झोटाडी गांव की महिलाओं ने सरकार पर आपदा पीडित क्षेत्र के उपेक्षा का आरोप लगा। चिंवा, टिकोची हास्पिटलों के क्षतिग्रस्त भवन, जूनियर हाई स्कूल चिंवा, राजकीय इंटर कालेज टिकोची भवन निर्माण की मांग कर आंदोलन की चेतावनी दी है।

चिवां गांव की महिलाओं का कहना है कि दो साल पहले आई आपदा से हुई क्षति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार और प्रशासन के द्वारा की गई अनदेखी के चलते वे आगामी विधानसभा में चुनाव वहिष्कार करेंगे। महिलाओं में सरोजनी चौहान, शारदा चौहान, कमलेश, रीना देवी, रेखा, सुशीला देवी, कान्ता आदि शामिल रही।

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