CAB मामले को फिर भड़के जामिया के छात्र, लिखा- “ये दीवारें अखबारों से ज्यादा सच बोलती हैं।”

‘दीवारें बोल उठेंगी’ विज्ञापन की ये लाइन तो आपने यकीनन सुनी होगी पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) केंद्रीय विश्वविद्यालय की दीवार सच में बोल रही है, वो इस देश के बिकाऊ मीडिया से कुछ कहना चाहती है, वो पक्षपात करने वाले मीडिया से सवाल करना चाहती है।

जहां एक ओर प्रदर्शन कर रहे छात्रों के ऊपर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, आंसूगैस के गोले से हमला किया, छात्रों को घायल किया, लहूलुहान किया वहीं कथित पत्रकारिता धर्म को निभाते हुए पत्रकारों ने अखबार में बड़ी ही ‘ईमानदारी’ से सिर्फ एक पक्ष को अखबार में जगह दी है। ऐसे में विश्वविद्यालय के छात्रों ने अखबारों की हकीक़त को सबके सामने लाते हुए दीवार पर लिख दिया है कि-  “ये दीवारें अखबारों से ज्यादा सच बोलती हैं।”

आंखों में पट्टी बांधकर जब अखबार कुछ भी छाप रहे हैं, देश का मीडिया कुछ भी दिखा रहा है तब मीडिया की इस हालत पर सिर्फ चिंता करने से कुछ नहीं होगा। आज जरूरत इस देश के मीडिया पर चिंतन करने की भी है क्योंकि ये आपको आधा सच ही दिखा रहा है जो कि बेहद खतरनाक है।

मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने लिखा था कि-

खींचो न कमानों को न तलवार निकालो

जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो

अखबार और मीडिया की ताकत को दिखाने वाला ये शेर आज के बिकाऊ मीडिया के सामने हारता हुआ नजर आता है। ऐसे में सवाल ये भी है कि यदि मीडिया ही पक्षपात करेगा और आधी-अधूरी जानकारी पहुंचाएगा तो सच जनता तक कैसे पहुंचेगा?

ऐसी स्थिति में जामिया की दीवार पर लिखी इस बात को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

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