चरण पादुका ओं को मस्तक से लगाने के लिए भक्तो में लगी होड़

भास्कर समाचार सेवा

मथुरा/वृंदावन। श्री हरिनाम महामंत्र प्रवाहक गौरांग महाप्रभु कलिकाल में भक्ति के कल्पवृक्ष है। महाप्रभु के मुख से उच्चरित महामंत्र की गूंज आज पूरे विश्व मे सुनाई दे रही है। श्री प्रियाप्रियतम धाम के तत्वावधान में आयोजित सप्त दिवसीय नामजप महोत्सव में सन्त लीला रसिक महाराज ने कलियुग पावनावतार चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन का स्मरण कराते हुए कहा कि महाप्रभु के प्रभु भक्ति का जो सरल मार्ग जनमानस को बताया। आज वह चेतना का संवाहक बना हुआ है। उन्होनें कहा कि महाप्रभु के द्वारा पुनर्स्थापित पवित्र वृंदावन धाम में उनके महामंत्र का जाप करने से स्वतः ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। साढ़े तेरह करोड़ महामंत्र जाप महोत्सव के पंचम दिवस प्रातःकाल नवदीप धाम से विशेष रूप से आयी चरनपादुकाओ का अष्टोपचार विधि से पूजन अर्चन किया गया। पन्चामृत अभिषेक के उपरांत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया गया। इधर जहाँ गोस्वामीजन पवित्र पादुकाओं का पूजन कर रहे थे। उधर सम्पूर्ण सभागार हरिनाम की मधुर ध्वनि से अनुगुंजित हो रहा था। प्रफुल्लित भक्तजन आनन्द रस वर्षण में गोते लगा रहे थे। पूजन के बाद चरनपादुकाओ के दर्शनों का दौर शुरू हुआ तो भक्तो में सिर पर धारण करने की होड़ लग गयी।हर कोई इस अद्भुत क्षण का पुण्यलाभ अर्जित करने को उत्सुक दिखाई दे रहा था। नवदीप से आये गोस्वामीजन द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ भक्तो के सिर पर स्पर्श करा रहे थे।

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