नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आजाद हिन्द फौज के गठन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लाल किले पर तिरंगा फहराया और एक पट्टिका का अनावरण भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लाल किले पर तिरंगा फहराने का सपना देखा था। नेताजी की सशस्त्र क्रांति एक अभूतपूर्व कार्य था। उनके मन में गुलाम भारत को लेकर बड़ा दुख था।
मोदी ने कांग्रेस का नाम लिए बिना गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ही परिवार के लोगों के लिए भारत के सपूतों को भुलाया गया, फिर चाहे वह सरदार पटेल हों या बाबा साहेब आंबेडकर अथवा नेताजी सुभाष चंद्र बोस। प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों के साथ-साथ पूरे विश्व को यह संदेश भी दिया कि भारत की नीति दूसरों पर आक्रमण करने की नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें कभी किसी दूसरे की भूमि का लालच नहीं रहा। लाखों बलिदान के बाद हमें ‘स्वराज’ मिला है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि ‘स्वराज’ को सुराज के साथ बनाए रखें।
आजाद हिन्द फौज की टोपी पहने मोदी ने कहा कि भारत को इंग्लैंड के चश्मे से देखा गया। यदि ऐसा नहीं होता तो परिस्थितियां कुछ और होती। उन्होंने कहा कि भारत को भारतीय की नजर से आज भी देखना जरूरी है।
मोदी ने कहा कि कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी। आजादी के लिए जो समर्पित हुए वो उनका सौभाग्य था, हम जैसे लोग जिन्हें ये अवसर नहीं मिला, हमारे पास देश के लिए जीने का, विकास के लिए समर्पित होने का मौका है। सेना की क्षमता हो या फिर बहादुर जवानों के जीवन को सुगम और सरल बनाने का काम हो, बड़े और कड़े फैसले लेने का साहस इस सरकार में है और ये आगे भी बरकरार रहेगा। हमारी सरकार ने सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक और नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने जैसे कड़े फैसले लिए हैं।
प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सेना में महिला सशक्तिकरण का पुरोधा बताते हुए कहा कि कल यानि 22 अक्टूबर को रानी झांसी रेजीमेंट के भी 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे। सशस्त्र सेना में महिलाओं की भी बराबरी की भागीदारी हो, इसकी नींव भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ही रखी थी।
मोदी ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन को अपने वादे के मुताबिक सरकार ने पूरा किया। 11 हजार करोड़ के एरियर को भी सरकार ने मंजूरी दी, जिससे पूर्व सैनिकों को फायदा मिला है। मोदी ने कहा कि भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है। इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।
मोदी ने कहा कि नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी। यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था। आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था।
कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा, नेताजी के भतीजे चंद्र कुमार बोस, भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के वयोवृद्ध ललित राम और ब्रिगेडियर आर एस छिक्कारा भी मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से आजाद भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी। यह 1940 के दशक में भारत के बाहर ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए शक्तियों के साथ सहयोग करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता आंदोलन का एक हिस्सा था।
आजाद हिन्द सरकार के अस्तित्व ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम को अधिक मजबूत किया था। निश्चित रूप से, आजाद हिंद फौज या भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) की भूमिका स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने में महत्वपूर्ण रही थी।