12 नवंबर 2023 रविवार के दिन दीवाली का पर्व मनाया जा रहा है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन 700 साल बाद 5 राजयोग, 3 शुभ योग, और 1 सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में माता लक्ष्मी जी की पूजा होगी। यानी कुल 8 दुर्लभ संयोग और एक मुहूर्त में पूजा करने से स्थायी रूप से घर में माता लक्ष्मी जी का वास होगा, इसके लिये स्थिर लग्न में पूजा करना भी उत्तम माना गया है।
दीपावली 12 नवंबर को है। इस बार लक्ष्मी पूजा के लिए 6 मुहूर्त हैं, जो दोपहर 1.15 से रात 2.32 तक रहेंगे। इनमें हर वर्ग के लोग (घर, दुकान, ऑफिस और कारखाने में) अपने हिसाब से खास मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। इस बार दीपावली पर कई ऐसे शुभ योग भी बन रहे हैं, जो लक्ष्मी पूजन से लेकर नए कामों की शुरुआत के लिए शुभ रहेंगे। दीपावली पर आठ शुभ योग बन रहे हैं। इनमें पांच राजयोग और अन्य 3 शुभ योग रहेंगे। ऐसा संयोग पिछले 700 साल में नहीं बना।
समृद्धिदायक अष्टमहायोग में लक्ष्मी पूजन
दीपावली पर गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के पांच राजयोग बन रहे हैं। जो शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु की स्थिति से बनेंगे। इनके अलावा महालक्ष्मी, आयुष्मान और सौभाग्य भी बन रहे हैं। लक्ष्मी पूजा के वक्त ऐसा संयोग सदियों में बना है।
उद्योगपति-व्यापारियों के लिए शुभ
दीपावली पर बन रहे शुभ योग उद्योगपति और व्यापारियों के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं। आज बन रही ग्रह-स्थिति समृद्धि देने वाली होगी। जिससे दूरसंचार, शेयर मार्केट, सर्राफा, कपड़ा, तेल और लोहे से जुड़े मशीनरी काम करने वालों को फायदा होगा। चंद्रमा और बुध राहु-शनि के नक्षत्र में रहेंगे। जिससे उद्योग और टेली-कम्युनिकेशन फील्ड वालों के लिए बड़े बदलाव वाला समय रहेगा और उम्मीद से ज्यादा मिलने के भी योग बनेंगे।
पुराणों में दीपावली का जिक्र
स्कंद और पद्म पुराण के मुताबिक इस दिन दीपदान करना चाहिए। ब्रह्म पुराण कहता है कि कार्तिक अमावस्या की आधी रात में लक्ष्मी अच्छे लोगों के घर आती हैं इसलिए घर की सफाई और सजावट के बाद दीपावली मनाने की परंपरा है। श्रीमद्भागवत और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की अमावस्या पर लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसके बाद लक्ष्मी पूजन की परंपरा शुरू हुई। ब्रह्म पुराण की कथा के मुताबिक महाराज पृथु ने पृथ्वी दोहन कर इसे धन-धान्य से समृद्ध बनाया, इसलिए दीपावली मनाते हैं।
मार्कंडेय पुराण कहता है, जब धरती पर सिर्फ अंधेरा था तब एक तेज प्रकाश के साथ कमल पर बैठी देवी प्रकट हुईं। वो लक्ष्मी थीं। उनके प्रकाश से ही संसार बना इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा हैं। वहीं, श्रीराम के अयोध्या लौटने के स्वागत में दीपावली मनाने की परंपरा है।