ड्रैनग का ये फैसला उस पर पड़ा भारी, चीनी शासन के खिलाफ सुलग उठा इनर मंगोलिया

चीन ने भारत से पंगा लिया तो उसके बुरे दिन शुरू हो गए. दक्षिणी पेंगोंग में चीनी सेना सेना को खदेड़ कर भारत ने पूरी दुनिया के साथ-साथ उन देशों को जिन पर चीन आधिपत्य जमाता है, संदेश दे दिया है कि चीन केवल गीदड़ भभकी देकर हुकूमत करना चाहता है, अगर इसके खिलाफ आवाज बुलंद की तो खुद भाग खड़ा होगा. अब चीन चुनौती मिलने लगी है. हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने की वजह से घिरा चीन अब नई मुसीबत आई है. मंदारिन भाषा थोपने की वजह से अब इनर मंगोलिया सुलग उठा है. शी चिनपिंग सरकार के तानाशाही फैसले को लेकर लोगों में इतना आक्रोश है कि मुंह खोलने का अंजाम जानते हुए भी जनता सड़कों पर उतर आई है. जगह-जगह लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और फैसला वापस लेने का दबाव बना रहे हैं. आशंका के अनुरूप ही चीन अब आंदोलन को बलपूर्वक कुचलने में जुट गया है.

दरअसल, चाइना के स्वायत्त क्षेत्र इनर मंगोलिया में शी चिनपिंग सरकार ने मंदारिन भाषा को थोपने का फैसला लिया है. चीन ने फरमान सुनाया है कि इनर मंगोलिया में स्कूली बच्चों को मुख्य विषयों को स्थानीय भाषा की बजाय मंदारिन में पढ़ाया जाएगा. उत्तरी चीन के इनर मंगोलिया में क्षेत्रीय सरकार नई नीति को लागू करने पर अड़ गई है तो पुलिस प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपट रही है.

स्वायत्तक्षेत्र की चेयरवूमन बू शाओलिन ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा कि नई नीति एक ‘महत्वपूर्ण राजनीतिक मिशन’ है. उन्होंने कार्यकर्ताओं को इस आदेश को लागून कराने का आदेश देते हुए कि ऐसा करके वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व के प्रति अपनी वफादारी दिखाएं. स्थानीय सरकार ने पिछले सप्ताह घोषणा की कि प्राइमरी और सेकेंड्री स्कूलों में अब साहित्य, नीति शास्त्र और इतिहास स्थानीय मंगोलियन भाषा की बजाय मंदारिन में पढ़ाया जाएगा.”

लोगों में डर है कि नई नीति से मंगोलियन भाषा धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी और यह उनकी संस्कृति और पहचान को खत्म करने की साजिश है. लोग खुलकर इस नीति का विरोध कर रहे हैं. सड़कों पर और स्कूलों के बाहर अभिभावक एकत्रित होकर आवाज बुलंद कर रहे हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अभिभावक इस बात पर अड़ गए हैं कि जब तक नई नीति को वापस नहीं लिया जाता है वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.

अजहर मसूद जैसे खूंखार आतंकवादियों के लिए अक्सर ढाल बनने वाले चीन को तानाशाही के खिलाफ मुंह खोलने वाले अभिभावक आतंकवादी और अलगाववादी नजर आने लगे हैं. प्रदर्शनों के बीच इनर मंगोलिया पहुंचे कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर नेता और पब्लिक सिक्यॉरिटी मिनिस्टर ने पुलिस को आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा है. पब्लिक सिक्यॉरिटी या पुलिस मिनिस्टर झाओ खेझी ने कहा, ”अलगाववाद के खिलाफ संघर्ष को तेज करने की जरूरत है. आतंकरोधी उपायों को सख्ती से लागू करें. स्थिरता बनाए रखने के लिए अच्छा काम करें.”

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