
रोहतक. पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ (पीएडी), वैरिकोज़ वेन्स, आयोर्टिक एन्यूरिज़्म और डीप वेन थ्रॉम्बोसिस जैसे रक्तवाहिनी और नसों के विकार बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं। इनके लक्षण स्पष्ट न होने और जागरुकता की कमी के कारण इनका निदान नहीं हो पाता है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं और मरीज को अंग कटवाना पड़ सकता है। अगर इलाज समय से न मिल पाए, तो स्ट्रोक या मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, मोटापा या फिर धूम्रपान का इतिहास रहा हो, तो मरीज को ये विकार होने की संभावना ज्यादा होती है। पैदल चलते वक्त पैर में दर्द, अंगों में सूजन, या फिर नसों का उभरा हुआ दिखाई देने जैसे सामान्य लक्षण भी नसों के विकार के संकेत हो सकते हैं। इन समस्याओं को समय पर निदान, दवाओं या वैस्कुलर सर्जरी की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है। रक्तवाहिनी की विभिन्न समस्याओं के लिए मिनिमली इन्वेज़िव सर्जरी कराई जा सकती है।
डॉ. तपिश साहू, एचओडी – वैस्कुलर एवं एंडोवैस्कुलर सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका, नई दिल्ली ने कहा , ‘‘नसों और रक्तवाहिनियों की समस्याओं में काफी वृद्धि हो रही है। इसके कारणों में अस्वस्थ जीवनशैली, खराब आहार और कम शारीरिक गतिविधि हैं। सबसे सामान्य समस्या पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ है। इसमें अंगों को खून की सप्लाई कम हो जाती है। इस विकार के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, इसलिए इसका तब तक निदान नहीं हो पाता है, जब तक बीमारी काफी बढ़ न जाए। इस स्थिति में वैस्कुलर सर्जरी करानी पड़ सकती है। वैस्कुलर सर्जरी आधुनिक सर्जिकल और एंडोवैस्कुलर तकनीकों की मदद से खून की आपूर्ति को फिर से शुरू कर देती है। इसलिए नसों के स्वास्थ्य, समय पर निदान और इलाज के बारे में जागरुकता का बढ़ाया जाना आवश्यक है। समस्याओं की पहचान समय पर करके तथा लक्ष्य पर केंद्रित इलाज की मदद से अंगों को बचाया जा सकता है और मरीज की मोबिलिटी की रक्षा की जा सकती है। इससे मरीज को जानलेवा स्थितियों से बचाया जा सकता है।’’
डॉ. हर्षित मल्होत्रा, कंसल्टैंट – वैस्कुलर एवं एंडोवैस्कुलर सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल ने कहा , ‘‘डायबिटीज़ से वैस्कुलर समस्याओं का जोखिम बहुत बढ़ जाता है। खून में शुगर की मात्रा ज्यादा होने पर रक्तवाहिनियाँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ (पीएडी), डायबिटिक फुट अल्सर, और क्रोनिक वेनस इनसफिशियंसी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर मरीज की डायबिटीज़ नियंत्रित न हो, तो उन्हें संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। घाव जल्दी ठीक नहीं होते और अगर वैस्कुलर समस्या का समय पर निदान न हो पाए, तो अंग काटने तक की नौबत आ जाती है।’’
दिल्ली-स्थित एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल रोहतक में एपेक्स प्लस सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल के साथ गठबंधन में विशेष ओपीडी लगाकर वैस्कुलर केयर को लोगों के नजदीक लेकर आया है। इस ओपीडी में 23 मई, 2025 को डॉ. तपिश साहू और उनकी टीम मरीजों को परामर्श प्रदान करेगी। इस पहल का उद्देश्य रोहतक और करीबी इलाकों के लोगों तक विशेषज्ञ वैस्कुलर देखभाल पहुँचाना है।