पशुओं को हीट-स्ट्रोक से बचाने के लिए दिये गये सुझाव

लू से प्रभावित पशुओं को तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें 
पशुपालक कि  गर्मी में पशु पक्षियों के पेयजल का रखे ख्याल
क़ुतुब अंसारी
बहराइच। वर्तमान समय में सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में गर्म हवाओं एवं लू का प्रकोप बढ़ रहा है जिससे तापनमान काफी बढ़ गया है। इस स्थिति में उचित प्रबन्धन से पशुओं को लू से बचाना आवश्यक हो गया है। गर्म हवाओं व लू के कुप्रभाव से पशु का उत्पादन प्रभावित होने के साथ-साथ उचित देख भाल एवं प्रबन्धन न होने पर बीमारी से प्रभावित होने से पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है। पशुपालन जीविका का साधन है। प्रदेश में वर्ष 2019 में सामान्य से अधिक तापमान होने का पूर्वानुमान भी व्यवस्था  किया गया है। इस सम्बन्ध में पूर्ण तैयारी करने व बचाव हेतु जन-जागरूकता व प्रचार प्रसार किये जाने तथा राहत सम्बन्धी कार्य करने के सुझाव पशुपालकों को देने के लिए पशु चिकित्साधिकारियो को निर्देश दिये गये हैं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बलवन्त सिंह ने पशुओं एवं मुर्गियों को गर्म हवा व लू के प्रभाव से बचाने के लिये  पशुपालकों को सलाह दी है कि पशुओं को सीधे धूप वाले स्थान में न रखें तथा पशुओं को प्रातः एवं सायं काल में ही चरायी के लिए भेजें। पशुओं को ऊपर से ढके हुए (छप्पर/टीन शेड) स्थानों में रखें तथा यह विशेष ध्यान रखें कि रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट/बोरे से ढक दें, जिससे सीधी हवा का झोंका पशुओं तक न पहुँच सके तथा टाट/बोरे पर पानी का छिड़काव करते रहें।
पशुओं को छाया में बांधें और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी/तरल पदार्थ पिलाएं।  श्री सिंह ने बताया कि कन्सट्रेट संतुलित आहार पशुओं को खिलायें तथा खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढ़ा दें, साथ ही नमक एवं गुड़ का भी प्रयोग करें तथा धूप में ज्यादा देर तक रखे हुए गरम पानी पशुओं को न पिलायें, स्वच्छ ताजा पानी हैण्डपम्प या कुओं से ही पिलायें। उन्होंने बताया कि पोखरों का पानी कदापि पशुओं को न पिलाये। पशु बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। विशेष तौर पर पूर्वान्ह 10:00 से अपरान्ह 04:00 बजे के बीच सूर्य के ताप से पशुओं को बचाये, उन्हें खुले स्थान पर धूप में न खड़ा करें। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को रेडियो/टीवी पर सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सतर्क रहें।
 सिंह ने बताया कि लू से प्रभावित पशु के शरीर में ज्यादा गर्मी, बुखार के लक्षण होने पर तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें और उनसे प्राप्त परामर्श का पूर्ण रूपेण पालन करें। पशुओं को दिन में एक बार अवश्य नहलायें। सक्षम पशुपालक पशुशाला में स्प्रिंकलर के द्वारा जल का छिड़काव करें एवं पंखों का उपयोग करें, तभी उत्पादन प्राप्त किया जा सकेगा। मुर्गीशाला में पर्याप्त मात्रा में जल एवं राशन की मात्रा रखें।
पशु पक्षी को लू लगने पर यदि तेज बुखार एवं अन्य लक्षण दिख रहा हो तो तत्काल जल पिलायें तथा निकटवर्ती पशु चिकित्सक से संपर्क करें। घर के बाहर छायादार स्थानों पर कटोरे में पानी भर कर रख दें, जिससे कि अन्य पक्षी भी पानी पी सकें।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें