जॉयनगर: पश्चिम बंगाल के दक्षिणी 24 परगना जिले में उस वक्त हडकंप मच गया जब तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक की गाड़ी पर अज्ञात हमलावरों ने हमला कर दिया. जिसमें पार्टी के तीन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। खबर के अनुसार आरोपियों ने कार पर फायरिंग की, घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने फिलहाल अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है
विधायक की गाड़ी पर हमला जॉयनगर के एक पेट्रोल पंप के पास हुआ है. अभी तक हमले के पीछे की वजह का पता नहीं चल पाया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार पुलिस आरोपियों का पता लगाने के लिए पेट्रोल पंप के आसपास लगे सीसीटीव कैमरे की फुटेज की भी जांच कर रही है. खास बात यह है कि जिस समय विधायक की गाड़ी पर हमला हुआ उससे कुछ मिनट पहले ही विधायक अपनी गाड़ी से उतरकर पार्टी दफ्तर गए थे. पुलिस अधिकारी ने बताया कि के हमले में तीन लोगों की मौत हुई है उसमें कार का चालक और दो पार्टी कार्यकर्ता शामिल हैं. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल शक के आधार पर कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.

पहले भी हो चुकी है घटना
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के समय से ही राजनीतिक हत्याओं का दौर चल रहा है. इससे पहले इसी साल 29 मई को पुरुलिया के ही जंगल में बीजेपी कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो का लटका हुआ शव मिला था. आरोपियों ने हत्या कर लाश को पेड़ से टांग दिया था. भारतीय जनता पार्टी ने इसे राजनीतिक हत्या बताया था. 20 साल के त्रिलोचन महतो की लाश घर के पास ही नायलॉन की रस्सी ने लटकती मिली. इतना ही नहीं, त्रिलोचन महतो ने जो टी-शर्ट पहनी थी, उसपर एक पोस्टर चिपका मिला जिसपर लिखा था कि बीजेपी के लिए काम करने वालों का यही अंजाम होगा.
बीजेपी ने दुलाल कुमार की मौत के लिए टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि, हरकत में आई पुलिस ने इस मामले की जांच तुरंत सीआईडी को सौंप दी. मगर बीजेपी इससे संतुष्ट नहीं है. बीजेपी के महासचिव कैलाश विजय वर्गीय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को चिट्ठी लिख,
इसमें दखल देने की मांग की है. इस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या मामले पर एनएचआरसी यानी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा था. पत्र में विजय वर्गीय ने लिखा था कि हमें राज्य सरकार, पुलिस और सीआईडी पर भरोसा नहीं है. हम चाहते हैं कि इस मामले की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करे.














