– पशु तस्करी रोकने को लेकर शासन के कड़े तेवर से पुलिस महकमे की उड़ी नींद
गोपाल त्रिपाठी
गोरखपुर। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में पशु तस्करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि पुलिस प्रशासन को चुनौती देते हुए रात के अँधेरे में अपना काम आराम से अंजाम देते हुए पशुओं को लेकर चले जाते हैं। आश्चर्य की बात है कि पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लग पाती या मामला कुछ और है ?
जानकारों का मानना है कि अगर पशुओं की तस्करी को रोकने के लिए पुलिस खुद को तैयार कर ले तो पशु तस्करी रूक सकती है।लेकिन पुलिस जानबूझ कर इसे रोकना नहीं चाहती। क्योंकि तस्करी रूकने के साथ पुलिस की जेबे ढ़ीली हो जायेंगी।
वैसे कभी -कभार पशुओं से भरी गाडियां पकडे जाने से यह साफ है कि सीएम के जनपदीय क्षेत्र में पशु तस्करी जारी है। अभी गगहा के नर्रे गाव के पास गाड़ी पटलने से पशु तस्करी का खुलासा हुआ। पीपीगंज में पशुओं से लदी पिकप पकड़ी गयी। कैम्पियरगंज के मूसाबार में पशुओं से लदी पिकप पकड़ी गयी। कैम्पियरगंज के सोनौरा में गौवंशीय पशुओं से लदी पिकप पकड़ी गयी। पशु तस्करों के लिए गोरखपुर तस्करी का रूट रहा है। आसपास के जिलों से व अन्य जगहों से तस्करी कर लाए गए पशु गोरखपुर से होकर बिहार होते हुए बंगाल भेज दिए जाते हैं। गोरखपुर मंडल के चार जिलों महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर और गोरखपुर के 33 थाना क्षेत्रों में तस्करी के 17 मुख्य रास्ते चिन्हित किए गए हैं। सड़कों पर बैरियर लगाकर गुजरने वाले माल वाहकों की चेकिंग करने के निर्देश फाइलों में सिमट कर रह गयी।पुलिस चेकिंग के नाम पर धनउगाही में मशगुल है।
इन रूटों से होती ज्यादा तस्करी
कैम्पियरगंज -करमैनीघाट-कैम्पियरगंज पनियरा-परतावल,पीपीगंज-कैम्पि यरगंज-पनियरा, सहजनवां-बाघागाड़ा-कुशीनगर, सहजनवां- बड़हलगंज-गोला, बड़हलगंज- पटनाघाट,कपरवार घाट – बरहज बाजार रोड,लार- मईल होते हुए मेहरौना घाट तक,देवरिया कोतवाली सदर से करौंदी रोड, बघौचघाट से पकहाघाट रोड पर, बनकटा से रामपुर बुजुर्ग,कुशीनगर से गोपालगंज नेशनल हाइवे, खड्डा-नेबुआ नौरंगिया होते हुए मंशा छापर तक, टेकुआटार-खैरटवा से आगे, पटहेरवा के पिपरा से होते हुए समऊर बाजार रोड, गंगुआ, मठिया के ग्रामीण इलाके की सड़क, कोठीभार सबया ढ़ाला होते हुए कप्तानगंज,घुघली से सबया ढाला से होते हुए रमगढ़वा होते हुए बिहार व बृजमनगंज-सिद्धार्थनगर-धानी, कोल्हुई होते हुए बिहार।
इन थाना क्षेत्रों में फैला है पशु तस्करों का जाल
गोरखपुर जनपद के गोला, बड़हलगंज, गगहा, खजनी, बेलीपार, सहजनवां और चिलुआताल, पीपीगंज, कैम्पियरगंज। देवरिया जनपद के बरहज, मईल, लार, कोतवाली, गौरी बाजार, तरकुलवा, बघौचघाट, सलेमपुर, खुखुंदू, भाटपाररानी और बनकटा। कुशीनगर जनपद के नेबुआ नौरंगिया, कोतवाली पडरौना, खड्डा, तरयासुजान, पटहेरवा, विशुनपुरा, हाटा, बरवापट्टी व समउर व बहादुरपुर पुलिस चैकी। महराजगंज जनपद के कोल्हुई, बृजमनगंज, घुघली, श्यामदेउरवा, कोठीभार और फरेंदा,पनियरा।
सिर्फ कैरियर ही लगते हैं पुलिस के हाथ
जिले से पशु तस्करी के मामले सामने आते रहते हैं। जाड़े के दिनों में कोहरे का लाभ उठाकर पशु तस्कर गांव-देहात, शहर-कस्बों के आसपास पशुओं को इकट्ठा करा लेते हैं।रात में ट्रक लगाकर उनको लाद लिया जाता है।चेकिंग के दौरान पुलिस पशुओं के गोबर और मूत्र से उनके ट्रक में होने का अंदाजा लगाती है लेकिन पुलिस से दो कदम आगे तस्कर पशुओं का मल-मूत्र सड़क पर गिरने ही नहीं देते। भीतर से कोई रिसाव न होने पर कच्चा माल बताकर तस्करी वाले ट्रक आसानी से निकल जाते हैं। जिले में चेकिंग के दौरान पुलिस सिर्फ कैरियरों को पकड़ सकी है। गुलरिहा और शाहपुर में पुलिस पर हमले के बावजूद पुलिस तस्करों के सरगना तक नहीं पहुंच सकी। पकड़े गए पशुओं की देखभाल का इंतजाम न होने से उनको पुलिस गांव के लोगों को सौंप देती है। ऐसे में कई बार वही पशु दोबारा तस्करों के हाथ लग जाते हैं।
जिले में किसी भी कीमत पर पशु तस्करी नहीं होने पाएगी। इसके लिए सभी थाना प्रभारियों को सख्त निर्देश दिया गया है। साथ ही इस अवैध कारोबार की निगरानी भी कराई जा रही है। इसमें यदि किसी की संलिप्तता पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डा सुनील कुमार गुप्ता, एसएसपी।