ट्रंप की सख्ती रंग लाई, चीन ने रूस से तेल खरीदने से किया इंकार, अब क्या होगा आगे…!

बीजिंग । अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप का दांव आखिरकार काम कर गया। पहले उन्‍होंने सीधे तौर पर चीन और भारत को रूस से तेल न खरीदने की धमकी दी। लेकिन जब बात नहीं बनी तब 2 सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। अब मजबूरी में दोनों को ही रूस से तेल खरीदने की डील को लेकर अपने हाथ पीछे खींचने पड़ रहे हैं। चीन ने साफ तौर से रूसी तेल खरीदने से इंकार किया है।

सूत्रों का कहना है कि चीन की सभी बड़ी रिफाइनरी कंपनियों ने रूस से तत्‍काल प्रभाव से कच्‍चा तेल खरीदना बंद करने का फैसला किया है। अमेरिका ने रूस की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी रोजनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाया है। यह दोनों कंपनियां चीन को बड़ी मात्रा में क्रूड की सप्‍लाई करती हैं। अब चीन की तेल कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद तेल की खरीदारी तत्‍काल प्रभाव से बंद करने का फैसला किया है।

चीन की कंपनियों ने रूस से क्रूड खरीदना बंद करने का फैसला भारतीय रिफाइनरियों के फैसले के बाद ही लिया है। सूत्रों का कहना है कि भारत की भी कई सरकारी और निजी रिफाइनरियों ने रूस से कच्‍चे तेल की खरीद बंद करने का फैसला कर लिया है। फैसले से रूस को तेल कारोबार से होने वाली कमाई में बड़े नुकसान की आशंका है। साथ ही ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चे तेल की कीमतें भी बढ़ने की आशंका है।

चीन की सरकारी कंपनियों ने रूस के समुद्री तेल की खरीद बंद कर दी है। हालांकि, यह फैसला कुछ ही समय के लिए किया गया है, ताकि अमेरिका के प्रतिबंधों से बच सके। चीन फिलहाल 14 लाख बैरल तेल रोजाना रूस से खरीदता है, लेकिन अब यह खरीद अचानक बंद करना पड़ेगा। चीन में सरकारी कंपनियों के अलावा कई प्राइवेट कंपनियां भी रूसी तेल खरीदती हैं। इन सभी के कारोबार पर अब असर पड़ेगा।

जानकार का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद चीन की सरकारी कंपनियों की रूस से तेल खरीद घटकर 2.50 लाख बैरल प्रतिदिन रह जाएगा, जबकि एक अन्‍य ऊर्जा परामर्श कंपनी ने यह खरीद 50 हजार बैरल रोजाना की ही बताई है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भड़का तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक