
लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग के लचीलेपन से राजधानी लखनऊ के निजी अस्पताल बेलगाम चल रहे हैं। गरीबों को शिकार बनाकर अस्पताल लाने का काम उनके एजेंट लगातार कर रहे हैं। मासूम गांव वालों को बेवकूफ बनाकर इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूलने का काम भी निजी अस्पताल कर रहे हैं। दरअसल, शहर के दो बड़े अस्पताल इंटीग्रल हॉस्पिटल व एरा मेडिकल पर कोरोना की आड़ में अंग तस्करी का आरोप लगा है। मामलें की यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए हैं।
ब्रजेश पाठक ने भी जांच के लिए पत्र लिखा था
दोनों बड़े अस्पतालों पर अंग तस्करी करने का आरोप लगा है। मुख्यमंत्री योगी ने जांच करने के आदेश दिए। सांसद कौशल किशोर ने सीएम को इस मामलें में पत्र लिखा था। उन्होंने पीड़ित परिवार को सीएम से मिलवाया भी था। इस मामले में मंत्री ब्रजेश पाठक ने भी जांच के लिए पत्र लिखा था। पीड़ित परिवार ने कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
चिनहट के पक्का तालाब निवासी शिव प्रकाश पांडेय के बेटे आदर्श कमल पांडेय (27) विगत 11 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। उनके चाचा जेपी पांडेय ने बताया कि एक डॉक्टर की सलाह पर वह निजी मेडिकल विवि में 15 सितंबर को भर्ती हो गया। चैट में उसने बताया कि उसने अपनी आंखों के सामने वहां कई मरीजों के साथ गलत होते देखा। आशंका है कि वहां मानव अंगों की तस्करी होती थी। वह इसका गवाह बनना चाहता था। अपनी बहन से हुई चैट में इन बातों का जिक्र उसने किया था। धीरे-धीरे कमल को सामान्य वार्ड से आइसीयू व वेंटिलेटर तक पहुंचा दिया गया। 22 सितंबर को उसने बहन को बताया कि आज भी नहीं निकाल पाए तो रात तीन बजे वह लोग मुझे मार डालेंगे। फिर उसी रात करीब 12 बजे उसकी बहन ने किसी तरह भाई को दूसरे निजी मेडिकल कॉलेज रेफर कराया। आरोप है कि पहले मेडिकल कॉलेज ने साजिश के तहत यहां पर भी फोन कर दिया। लिहाजा, तीन दिन रखने के बाद दूसरे मेडिकल कालेज ने 26 सितंबर को सुबह घर वालों को बताया कि मरीज ठीक है। उसके सारे अंग काम कर रहे हैं फिर 15 मिनट बाद दोबारा फोन कर कहा कि अब आदर्श नहीं रहा। परिवारजन का आरोप है कि आदर्श को मारा गया है। उधर, दोनों निजी चिकित्सा संस्थानों ने सभी आरोपों को निराधार बताया है।













