- शौचालय निर्माण मे लाखो के घोटाले की जांच को सत्यापन करने आये अधिकारियों ने औपचारिकता मे निपटाया
- 367 मे सिर्फ 22 शौचालय देख मान लिया सब सही
- डीएम के जांच व सत्यापन की डीएचओ व जेई को सौपी थी जिम्मेदारी
अमित शुक्ला
सफीपुर उन्नाव। जिला अधिकारी के आदेशो को ही धता बता रहे है जांच अधिकारी औपचारिकता मे ही निपटा दिया जांच और सत्यापन को और मौके पर ही दे दी प्रधान व सचिव को क्लीन चिट। 367 मे सिर्फ 22शौचालय का निरिक्षण कर आधे घन्टे मे ही लौट गये । ग्रामीण शिकायतकर्तओ ने बार बार कहा साहब अभी डेढ़सैकड़ासे अधिक शौचालय अपूर्ण और पड़े है जिनकी जांच कर लो पर दोनो जांच अधिकारियो ने एक भी नही सुनी और समय न होने की बात कहकर बैरंग वापस चले गये । उनके इस कृत्य की जानकारी मुख्य बिकास अधिकारी को दे दी गई है । डीएम ने नोटिस जारी करने के बाद स्थलीय सत्यापन के लिये जांच नोडल डीएचओ व जेई को सौपी थी।
मालुम हो कि बिकास खण्ड सफीपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायत सकहन राजपुतान मे 727 शौचालयो के निर्माण का लक्ष्य निर्धारण किया गया था। जिसमे 62लाख 16हजार रुपए अवमुक्त किये जा चुके है। शौचालय निर्माण मे मानको के विपरीत घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया। जिसकी शिकायत मार्च माह मे जनपद मे निरिक्षण करने सफीपुर ब्लाक आये प्रमुख सचिव राजस्व से की गई थी जिसपर उन्होने डीपीआरओ को जांच कर कार्यवाही करने के सख्त आदेश दिये थे। जिसके अनुपालन मे गांव मे बन शौचालयो की जांच जिला पंचायत राज अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद और स्वच्छ भारतमिशन के जिला समन्वयक श्रीश सिंह ने अप्रैल मई माह मे की थी । जिसमे शासकीय धन के दुरुपयोग और गडबडी की पुष्टि हुई थी।
जांच आख्या के आधार पर जिलाधिकारी ने 26 जुन को प्रधान व सचिव को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया था। तहसील दिवस मे डीएम पुनः से की गई शिकायत पर बोतल से मजबुरी मे जिन्न निकला और फ़ाईल लीपा पौती करके डीएम के सामने पेश की गई। जिसमे आरोपो को गम्भीरता से लेते हुये डीएम ने नोडल अधिकारी जिला उद्यान अधिकारी और जेई को शौचालयो की जांच और मौके का सत्यापन करने के आदेश सितम्बर माह मे दिये थे तबसे जांच ठंडे बस्ते मे पडी थी ।
किन्तु गत माह 14नवम्बर को जनपद मे निरिक्षण पर आये प्रभारी प्रमुख सचिव के सामने इस गांव मे शौचालय निर्माण मे लाखो के घोटाले की शिकायत की गई तो उन्होने नाराजगी जताते हुये शीघ्र कार्यवाही के निर्देश दिये थे। तब ये मामला मजबुरी मे अधिकारियो ने फिर संज्ञान लिया और डीएम के आदेश के दो माह बाद 7 दिसम्बर शुक्रवार को गांव डीएचओ और जेई पहुचे तथा उनके साथ सचिव और प्रधान पति प्रतिनिधि मौजुद रहे जिन्होने 367 मे सिर्फ वो 22 शौचालय देखे जो चालू थे। करीब आधे घन्टे मे जांच पूरी कर ये कहकर लौटने लगे कि कही जाना है टाईम नही है ।
जांच की सूचना मिलते ही शिकायतकर्ता पहुचे और अधिकारियो से आग्रह किया कि साहब करीब डेढ़ सैकड़ा शौचालय अभी अधुरे और पड़े है जिनक पुर्ण और संचालित दर्शाकर फोटो अपलोड की जा चुकि है। जांच अधिकारियो ने एक न सुनी उन्होने कहा टाईम नही है जांच हो गई 27 देख लिये बहुत है। जांच मे गुणवत्ता की जांच नही की एक गड्ढा बनाया गया और टैंक बनाये गये उन पर भी गौर नही किया निर्माण सामग्री पर कोई ध्यान नही दिया फिर भी जेई ने क्लीन चिट दे दी ।
दो दो प्रमुख सचिव और डीएम के निर्देशो को कैसे ठेंगा दिखा रहे हैजांच अधिकारी निष्पक्ष जांचकरने के बजाये पक्षपाती जांच और प्रधान सचिव को क्लीन चिट दे रहे है ।पीएम की अति महत्वपुर्ण शौचालय निर्माण मे व्यापक लाखो का किया गया घोटाला लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभा भ्रष्टाचार मे आकन्ठ डूबे प्रधान व सचिव को बचाने व क्लीन चिट देने मे जांच अधिकारी जुटे है। हालाकि मुख्य बिकास अधिकारी प्रेम रंजन सिंह को दोनो जांचअधिकारियो की क्रिया शैली से अवगत कराया जा चुका है जिन्होने मामले को गम्भीरता से लिया है ।
ग्रामीणो ने कहा अगर इस प्रकार लाखो के घोटालो की जांच होगी तो कुछ नही हो पायेगा ग्रामीणो ने जांच टीम पर ले देकर मिली भगत का आरोप लगाया है। ग्रामीणो ने कहा अगर सही जांच नही की जाती है और दोषी प्रधान व सचिव के खिलाफ कार्यवाही नही की जाती है तो मामला उच्च न्यायालय की चौखट पर पहुचाकर न्याय की गुहार लगाई जायेगी ।
इन्ही दोनो के अधिकारियों पास है और एक 19 लाख रुपये के घोटाले की जांच
इन्ही दोनो साहब बहादुरो के पास इसी गांव की इन्ही प्रधान पति के उपर लगे 19लाख रुपए के गमन की भी जांच है जिसमे बिना कोई बिकास कार्य कराये 19लाख रुपया निकल कर कागजो पर फर्जी निर्माण कार्य दर्शाकर धन का गमन किया गया था जिसका खुलासा एडीओ पंचायत की जांच मे 2015 मे हुआ था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई है। शिकायत पर जिलाधिकारी ने मामले को गम्भीरता से लेते हुये इन्ही दोनो अधिकारियो को जांच महीनो पहले सौपी थी। शौचालय जांच मे दोनो अधिकारियो का रोल देखकर ग्रामीण सकते मे है कि उस जांच मे भी कुछ नही होगा।