यूपी -बिहार की इन सीटो पर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती, क्या मोदी-शाह का ये प्लान होगा कामयाब ?

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निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए इस बार मुख्य चुनाव आयोग ने आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों पर नकेल कसने की पूरी तैयार कर ली है।लोकसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद राजनीतिक पार्टियों में बैठक का दौर शुरू हो गया है। भाजपा- कांग्रेस जहां लोकसभा सीट हाासिल करना चाह रही है। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है।

इस बीच बताते चले लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बावजूद महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर घमासान जारी है |  अधिक से अधिक सीटों पर दावा ठोकते हुए कांग्रेस ने बिहार में भी उत्तर प्रदेश जैसा फार्मूला अपनाने की बात कही जबकि महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद ने कांग्रेस को तीन से चार दिनों के अंदर सीटों पर फैसला करने का अल्टीमेटम दिया है ।

यूपी और बिहार में भाजपा की सियासत की परीक्षा है

नजरें दोनों राज्यों की 120 सीटों पर है. इन दो राज्यों से ही सत्ता तक पहुंचने वाले 2019 के असली विजेता की तस्वीर साफ होगी. यही वजह से है कि बीजेपी बिहार और यूपी के लिए खास तवज्जो दे रही है. शनिवार को हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने हर सीट की गहन समीक्षा की.

रेस में बीजेपी अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए ने देर रात तक जो मैराथन बैठक की, उसमें से सबसे अहम नाम बिहार से निकल कर आए. जिन नामों पर पार्टी ने फैसला किया उसमें

सबसे अहम नाम है- केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का. बीजेपी ने इन्हें पटना साहिब से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है. पहली बार रविशंकर प्रसाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

दूसरा अहम नाम है- 

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, 2014 में वे नवादा से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इस बार सीट बदल गई है. गिरिराज सिंह को पार्टी ने इस बार बेगूसराय का टिकट थमाया है.

तीसरा नाम है- 

केंद्रीय मंत्री आर के सिंह का. पार्टी ने उनकी सीट बरकरार रखी है. यानि 2014 में आरा से चुनाव जीतने वाले आरके सिंह पर पार्टी ने फिर भरोसा जताया है. केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह की भी सीट बरकरार है. उन्हें पार्टी ने पूर्वी चंपारण से ही उम्मीदवार बनाया है. वही राजीव प्रताप रूडी को इस बार भी बीजेपी ने सारण से ही टिकट दिया है. 2014 में वे लालू को हराकर संसद पहुंचे थे.

जातीय समीकरण को साधने में लगी बीजेपी

जाति वाले फॉर्मूले की मिसाल है बीजेपी का फैसला जिसके तहत पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया गया है. इस हाईप्रोफाइल लोकसभा क्षेत्र में कायस्थ वोट की बहुलता है. इसी वजह से बीजेपी ने 2014 में शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट थमाया था, लेकिन शॉटगन के बागी होने के बाद पार्टी ने रविशंकर प्रसाद पर भरोसा जताया है.

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