कब्रिस्तान में मंदिर… अंग्रेजों के समय से हो रही पूजा, फतेहपुर के ताम्बेश्वर मंदिर में क्यों बढ़ रहा विवाद

Seema Pal

Tambeshwar Temple Controversy : उत्तर प्रदेश में मंदिर और मस्जिद का विवाद सुलझ भी नहीं पाया कि अब मंदिर और कब्रिस्तान के विवाद ने जन्म ले लिया है। यूपी के फतेहपुर जिले में ताम्बेश्वर मंदिर लंबे समय से स्थापित है। मंदिर के ठीक पीछे मुस्लिम समुदाय की ओर से कब्रिस्तान होने का दावा किया गया है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां पर शुरू से ही कब्रिस्तान था और मुर्दे दफन होते थे। कब्रिस्तान की जमीन पर मंदिर बना दिया। जबकि हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां पर मंदिर है और था, ताम्बेश्वर मंदिर की जमीन पर कब्रिस्तान बनाया गया। बता दें कि इस विवाद के बीच प्रशासन की ओर से कब्रिस्तान पर बुलडोजर कार्रवाई भी कर दी गई है। जिसके बाद यह विवाद भी और भी बढ़ गया है।

छोटे गांव में स्थित है ताम्बेश्वर मंदिर

फतेहपुर जिले के एक छोटे से गांव में ताम्बेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर मे धार्मिक आस्था का काफी महत्व है। मंदिर में भगवान शिव विराजित हैं। यहां पर भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए लाखों भक्त आते हैं। हर साल मेला भी आयोजित होता है। हिंदू इस स्थान को एक पवित्र स्थल मानते हैं। लेकिन कुछ सालों से यहां मंदिर की जमीन को लेकर विवाद छिड़ गया है।

कब्रिस्तान या ताम्बेश्वर मंदिर?

मुस्लिम पक्ष ने दावा किया है कि मंदिर के आसपास के क्षेत्र में एक पुराना कब्रिस्तान था, जिसके पास मंदिर बना है। यह जमीन कब्रिस्तान की है। एक स्थानीय मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यहां पहले कब्रिस्तान था, जहाँ उनके पूर्वजों की कब्रें हैं, और यह एक ऐतिहासिक स्थल है। दूसरी ओर, हिन्दू समुदाय के लोग इसे एक शिव मंदिर के रूप में मानते हैं और उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे पूजा स्थल के रूप में मान्यता देते हैं।

बता दें कि यह विवाद सिर्फ एक एक धार्मिक स्थल से जुड़ा नहीं है बल्कि दो समुदाय के बीच मतभेद से भी जुड़ा हुआ है। जिससे अब इस गांव में धार्मिक तनाव का माहौल बन गया है। यह मामला कोर्ट में भी चल रहा है। जहां इस विवाद से जुड़े कई कानूनी मामले दर्ज हो चुके हैं। एक ओर हिंदू संगठनों ने मंदिर के लिए भूमि वैधता का दावा किया है तो वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे कब्रिस्तान की जमीन बताया है।

कानूनी लड़ाई में भी यह विवाद सुलझ नहीं पाया। कुछ ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर यह साबित हुआ हेै कि इस क्षेत्र में एक कब्रिस्तान हुआ करता था, लेकिन जिस जगह पर मंदिर बना हुआ है, उस स्थान पर या आसपास के क्षेत्र में कब्रिस्तान होने की जानकारी नहीं मिल पाई है। जब ऐतिहासिक घटनाओं की मानें तो अंग्रेजों के समय से ही इस स्थान पर हिंदू समाज भगवान शिव की पूजा करने के लिए आता था। ऐसे में यह यहां पर मंदिर होने का दावा सही पाया गया है। लेकिन कोर्ट इस विवाद को सुलझा पाने में सक्षम नहीं दिख रहा और यह विवाद बढ़ता जा रहा है।

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