
अंकुर त्यागी
हरदोई। मनरेगा के तहत 14 दिवस में मजदूरी भुगतान की भले ही गारंटी हो, लेकिन श्रमिकों को भुगतान तीन माह बाद भी नहीं मिल पा रहा है। मंजर ऐसा है कि गांव में किए गए कार्य का पारश्रमिक तक मजदूरों को नसीब नहीं हुआ है, शासन–प्रशासन भी अभी तक उनकी समस्या का हल नहीं निकाल पाया है। आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में मजदूरों को उनकी मजदूरी भी नहीं मिल रही है, उनके द्वारा किए गए पिछले तीन माह में कार्यों का भुगतान तक सरकार नहीं कर पाई है। मनरेगा योजना लोगों को रोज़गार देने के लिए जानी जाती है लेकिन वर्तमान के हालत मनरेगा के लक्ष्य पर दाग लगा रहें हैं।
अपना पारिश्रमिक न मिलने से मजदूर परेशान हैं और ग्राम प्रधान पर दबाव बना रहे हैं। सुबह होते ही मजदूर ग्राम प्रधान के द्वारे पहुंच जाते हैं, ऐसी स्थित में प्रधान भी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। क्योंकि उनकी भी सुनवाई नहीं हो रही है । गांव के कार्यों के भुगतान के लिए प्रधान रोजाना ब्लॉक मुख्यालय के चक्कर लगाते नजर आते हैं लेकिन उनको दिलासे के सिवाय कुछ हाथ नहीं लग रहा है। मनरेगा मजदूर रामवती, सुरेंद्र, नन्हे ,बालेन्द्र और रामलड़ैते ने दैनिक भास्कर से बताया की तीन माह से मनरेगा की मजदूरी न मिलने से वह आर्थिक समस्या झेल रहे हैं और कर्ज लेकर अपने परिवार का खर्चा चला रहे हैं। जब मनरेगा विभाग में इस को लेकर हमने बात की तो विभाग भी मौन है और दबे शब्दों में सरकारी खाते में पैसा न होने की भी चर्चा है।