●पुलिस कप्तान नें सुसाइड नोट में लगे आरोपों के आधार पर प्रभारी निरीक्षक व मुंशी को किया तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर
●मृतका सिपाही 2016 बैच की आरक्षी थी, वह मूलरूप से हरदोई जिले की रहने वाली थी
हैदरगढ़ (बाराबंकी)। कोतवाली प्रभारी एवं मुंशी की प्रताड़ना से तंग आकर एक महिला सिपाही ने बीती रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । आज सुबह उसकी मौत की भनक लगते ही पूरे दल बल के साथ पहुंचे पुलिस क्षेत्राधिकारी एवं कोतवाली प्रभारी आनन – फानन में शव को कोतवाली ले आएं। जहाँ परिवारीजनों को सूचना दिए बगैर ही पंचनामा भरकर शव को आनन – फानन में जिला मुख्यालय पीएम के लिए रवाना कर दिया । घटना की सूचना पाकर पुलिस अधीक्षक सहित कई आलाधिकारी मौके पर पहुंच कर जरूरी जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक
स्थानीय कोतवाली में आरक्षी के पद पर तैनात मोनिका रावत 23 वर्ष निवासी हरदोई कस्बा हैदरगढ़ के पूरे मितई वार्ड में अक्षय कुमार के मकान में दूसरे मंजिल पर लगभग 2 माह से किराए पर रहती थी। रविवार सुबह पड़ोस में रहने वाली महिला सिपाही ममता पाल किसी का फोन आने पर मकान मालिक को जाकर बताया तो वह उसके कमरे में जाकर दरवाजा खटखटाया कोई प्रत्युत्तर नहीं मिलने पर तेज धक्का लगाया तो दरवाजा खुल गया। दरवाजा खुलते ही अंदर का नजारा देख उसके होश उड़ गए। क्योंकि मोनिका का शव एक रस्सी के सहारे पंखे से लटक रहा था। मकान मालिक ने घटना की सूचना तत्काल कोतवाली पुलिस को दी। घटना की सूचना पर सी0ओ0 समर बहादुर कोतवाल परसुराम ओझा मय फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। जांच के बाद शव नीचे उतारकर कोतवाली ले आए। जहां बिना परिवारी जनों को बुलाए शव पीएम के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया।
सुसाइड नोट मिलने के बाद पुलिस महकमे में मचा हडकंप, मृतका ने लगाएं कई गंभीर आरोप-
घटनास्थल पर मिले सुसाइड नोट के मुताबिक फाँसी से पूर्व मृतका ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। इससे यह पता चलता है, कि महिला को पुलिस विभाग में नौकरी करना कितना कठिन था। सुसाइड नोट में आरोप है, कि वह सी० सी० टी० एन० एस के पद पर कार्यरत होने के बाद भी उसकी ड्यूटी बाहर लगा दी जाती थी। जबकि अन्य महिला सहकर्मियों के साथ ऐसा नहीं होता था। जब वह इसका विरोध करती थी, तो मुंसी मोहम्मद रुखसार अहमद व प्रभारी निरीक्षक परशुराम ओझा द्वारा और भी ज्यादा परेशान किया जाने लगा। और गैर हाजिरी भी अंकित करा दी गई। साथ ही जैसा चल रहा है, वैसा चलने की नसीहत दी जाती रही। आरोप है कि 29 सितंबर जब मृतका अपनी छुट्टी का प्रार्थना पत्र लेकर कोतवाली प्रभारी के पास पहुंची। तो उन्होंने रजिस्टर फेंक दिया ,और छुट्टी देने से मना करते हुए सीओ के पास जाने के लिए कहा, आखिर जिन छुट्टियों पर हमारा हक है। उसके लिए हमें छुट्टी के लिये उच्चाधिकारियों से भीख मांगनी क्यों पड़ती है। ये सब कब तक झेलना पड़ेगा। छुट्टी मिली होती तो यह कदम नहीं उठाना पड़ता। अंत में मम्मा- पापा को अपनी गलती के लिए सारी कहा। अब सवाल उठता है कि इन सवालों के जवाब कौन देगा ।
पुलिस कप्तान नें घटना स्थल का लिया जायजा, दिएं कार्यवाही के निर्देश –
आरक्षी मोनिका रावत की आत्महत्या के मामले में पुलिस अधीक्षक बीपी श्रीवास्तव ने घटनास्थल और सुसाइड नोट की पड़ताल के बाद प्रभारी निरीक्षक परशुराम ओझा व मुंशी मो० रुखसार अहमद के ऊपर लगे आरोपों के मद्देनजर उन्हें तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया है। तथा इस घटना की पूरी जांच एडिशनल एसपी को सौंपते हुए 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट तलब की है। हालांकि सुसाइड नोट में छुट्टी ना दिए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि इस वर्ष वह 29 दिवस का ले चुकी हैं। त्योहारों को छोड़ कर विभाग में छुट्टियों की कोई समस्या नहीं है।
छुट्टी मांगने के दौरान मृतका से कोतवाल द्वारा वदसलूकी करने के मामले में एसपी ने कहा यह जांच के बाद पता चल सकेगा। मृतका 2016 बैच की आरक्षी थी। इनके पिता भी पुलिस महकमे में रहे हैं। और अब रिटायर हो चुके हैं ।आत्महत्या के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। जांच पूरी होने के बाद पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी ।पुलिस अधीक्षक द्वारा हुई फौरी तौर- पर कार्यवाही से जिले के पुलिस महकमे में हडकंप मच गया।