वाराणसी में हाल ही में कुछ हिंदू संगठनों द्वारा साईं बाबा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इन संगठनों का आरोप है कि साईं बाबा मुस्लिम थे, और उन्हें हिंदू देवी-देवताओं के साथ मंदिरों में स्थापित करना धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन है। इन संगठनों का कहना है कि साईं बाबा की पूजा हिंदू धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है, इसलिए उनकी मूर्तियों को मंदिरों से हटाया जाना चाहिए।
इस विवाद के चलते वाराणसी के कुछ मंदिरों में साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा रही हैं। कुछ मंदिरों के प्रबंधकों ने हिंदू संगठनों के दबाव में आकर यह कदम उठाया है, जबकि कुछ स्थानों पर साईं भक्तों द्वारा विरोध भी देखा गया है। साईं बाबा के समर्थकों का कहना है कि वे साईं को एक आध्यात्मिक गुरु मानते हैं, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के अनुयायियों के लिए श्रद्धेय हैं। उनके अनुसार, साईं बाबा ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता और मानवता की शिक्षा दी है।
यह मुद्दा केवल धार्मिक विवाद नहीं है, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक हलकों में भी बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे धार्मिक असहिष्णुता का उदाहरण मानते हैं, जबकि कुछ इसे धर्म की शुद्धता बनाए रखने का प्रयास बताते हैं। फिलहाल, यह मामला धार्मिक समुदायों के बीच एक बड़ी बहस का विषय बन चुका है, जो संभवतः भविष्य में और बढ़ सकता है।