नई दिल्ली : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा से ठीक पहले अमेरिका ने s-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील को लेकर एक बार फिर भारत को चेताया है। अमेरिका ने कहा है कि भारत जिस s-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को खरीदने की तैयारी में है वह अमेरिकी दंडात्मक प्रतिबंधों के दायरे में है। अमेरिका ने भारत समेत अपने मित्र देशों को रूस के साथ ऐसे लेन-देन को बंद करने को कहा है।
अमेरिका का कहना है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद से उसकी काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन ऐक्ट (CAATSA) का उल्लंघन होगा। अमेरिका के इस घरेलू कानून के मुताबिक अगर कोई देश ईरान, नॉर्थ कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन का संबंध रखता है तो वह अमेरिकी प्रतिबंधों का शिकार होगा। हालांकि इस दौरान यह भी खबर आई कि अमेरिका इसमें भारत को राहत दे सकता है। ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि अमेरिका रूस के इस मिसाइल सिस्टम को लेकर इतना चिंतित क्यों है?
अमेरिका चाहता है कि डील न हो
रक्षा जानकारों की मानें तो अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से यह एयर डिफेंस सिस्टम न खरीदे। यूएस की चिंता इस बात को लेकर है कि S-400 का इस्तेमाल अमेरिकी फाइटर जेट्स की स्टील्थ (गुप्त) क्षमताओं को टेस्ट करने के लिए किया जा सकता है। माना जा रहा है कि इस सिस्टम से भारत को अमेरिकी जेट्स का डेटा मिल सकता है। अमेरिका को यह डर भी सता रहा है कि यह डेटा रूस या दुश्मन देश को लीक किया जा सकता है।
एक रक्षा जानकार के मुताबिक S-400 सिस्टम का इस्तेमाल न सिर्फ अमेरिका के F-35s से जुड़े रेडार ट्रैक्स की पहचान करने में किया जा सकता है बल्कि इससे F-35 के कॉन्फिगरेशन का भी ठीक-ठीक पता लगाया जा सकता है। बताया जाता है कि F-35 लाइटनिंग 2 जैसे अमेरिकी एयक्राफ्ट में स्टील्थ के सभी फीचर्स नहीं हैं। इस तरह के प्लेन को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि आगे से रेडार नेटवर्क पर यह पकड़ में नहीं आता है, लेकिन साइड और पीछे से यह एयरक्राफ्ट पूरी तरह से स्टील्थ नहीं है। S-400 सिस्टम के रेडार F-35 को डिटेक्ट और ट्रैक कर सकते हैं।
अमेरिकी सिस्टम्स का बाजार हो रहा है कमजोर
अमेरिका की चिंता इस बात को लेकर भी है कि भारत ही नहीं, कई और देश S-400 सिस्टम को खरीदने की इच्छा जता रहे हैं। ऐसे में साफ है कि अमेरिका का ऐंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स मार्केट शेयर खो रहा है। अगर कई देशों को S-400 मिलता है तो कोई भी अमेरिकी सिस्टम इसकी टक्कर नहीं ले पाएगा।
भारत का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है, बेजा है अमेरिका की चिंता
अमेरिका को डर है कि भारत इसकी मदद से अमेरिकी जेट्स का डेटा हासिल कर सकता है। साथ ही यह भी कि यह डेटा रूस या किसी अन्य देश को लीक भी किया जा सकता है। हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमेरिका की यह चिंता बेवजह है। भारत का ट्रैक रेकॉर्ड किसी ऐसे देश की तरह नहीं रहा है, जो एक देश की डिफेंस टेक्नॉलजी को दूसरे देश को ट्रांसफर करता हो। अमेरिका ही नहीं दुनिया का कोई भी देश ऐसे आरोप नहीं लगा सकता है।
अमेरिका पिछले डेढ़ दशक से भारत को रक्षा उपकरण बेच रहा है और कोई भी तकनीक किसी दूसरे देश तक नहीं पहुंची है। वास्तव में रूस, अमेरिका, फ्रांस और इजरायल से सम्मिलित रूप से मिले सैन्य उपकरणों ने भारतीय सेना के लिए बड़ी भूमिका निभाई है।