
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी के तालकटोरा कर्बला से चोरी हुआ ईरानी नस्ल का बेशकीमती घोड़ा जुल्जनाह (जिसे अकीदत से दुलदुल कहा जाता है) 5 दिन बाद उन्नाव के मौरावां से सही सलामत मिल गया. घोड़े से शिया समुदाय के लगभग 5 लाख लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है.
घोड़े की सही सलामत वापसी के लिए कर्बला में दुआओं का दौर चल रहा था. साथ ही ढूंढने वाले के लिए 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था. पांच दिन की बेचैनी और मस्जिदों में हुई दुआओं के बाद, जुल्जनाह अब सुरक्षित अपने अस्तबल में वापस आ गया है. कर्बला के पूर्व मुतवल्ली सैयद फैजी के अनुसार घोड़े की कीमत वर्तमान में 70 लाख रुपए से ज्यादा है.
सैयद फैजी ने बताया कि 24 दिसंबर को तालकटोरा कर्बला के अस्तबल से यह घोड़ा रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया था. चोरी की वारदात पास लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति घोड़े को ले जाते दिख रहा था. इसी सुराग के आधार पर तालकटोरा पुलिस और समुदाय के लोग उन्नाव तक पहुंचे. पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद इसे उन्नाव के मौरावां से बरामद किया और कड़ी सुरक्षा के बीच लखनऊ लाया गया.
शिया धर्मगुरुओं और श्रद्धालुओं के लिए यह महज एक घोड़ा नहीं, बल्कि इमाम हुसैन की सवारी की याद दिलाने वाला मुकद्दस प्रतीक है. ईरानी नस्ल के इस घोड़े का इस्तेमाल मुहर्रम के जुलूसों में किया जाता है. शहर में इस नस्ल के मात्र 3 ही घोड़े हैं. घोड़े के गायब होने से पूरे समुदाय में गम था.
मस्जिदों और कर्बला में इसकी सलामती के लिए मन्नतें मांगी जा रही थीं. वापसी के बाद समुदाय ने इसे दुआओं का असर बताया है. घोड़े की देखभाल करने वाले गामा उसे वापस पाकर भावुक हो गए. उन्होंने बताया जितने दिन जुल्जनाह दूर रहा, मेरा खाना-पीना छूट गया था.
अस्तबल खाली देखकर आंखों में आंसू आ जाते थे. यह मेरे पैरों की आहट पहचानता है. जुल्जनाह को दूध, चना, चोकर और हरी घास खिलाई जाती है. गामा ने बताया कि जब तक घोड़ा खाना नहीं खा लेता, वे खुद भी अन्न ग्रहण नहीं करते.
डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया, पुलिस ने चोरी का मुकदमा दर्ज कर अपनी टीमें सक्रिय की थीं. पूर्व मुतवल्ली द्वारा घोषित 50 हजार का इनाम और पुलिस की सक्रियता ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया. फिलहाल पुलिस उस आरोपी की तलाश कर रही है जिसने वारदात को अंजाम दिया था.










