
इजराइल ने ईरान के खिलाफ एक बड़े हवाई हमले ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत 200 जेट विमानों से 100 से ज्यादा टारगेट को निशाना बनाया. यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम और आतंक संगठनों को मिल रहे समर्थन के खिलाफ एक सख्त संदेश माना जा रहा है. इस कार्रवाई में ईरान के कई शीर्ष सैन्य और परमाणु अधिकारियों की मौत हुई. हमले के बाद पूरे मध्य-पूर्व में तनाव और युद्ध की आशंका तेज हो गई है.
Israel attacks Iran: ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. इजराइल ने गुरुवार की रात ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले कर कई सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों को मौत के घाट उतार दिया. बताया जाता है कि इस हमले में 200 से अधिक फाइटर जेट्स से 100 से अधिक ठिकानों पर हमला किया गया.
इजराइल के हमले में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर के कमांडर हुसैन सलामी और सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी की मौत हो गई. इसके बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इजराइल ने ईरान पर हमला क्यों किया. आइए, इसका जवाब जानते हैं…
Israel is currently striking Iran’s capital, Tehran.
— AF Post (@AFpost) June 13, 2025
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इजराइल ने ईरान पर क्यों किया हमला?
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- ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर आशंका: इजराइल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए सीधा खतरा मानता रहा है. उसे आशंका है कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना सकता है, जो इज़रायल की सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है.
- ईरानी सैन्य और वैज्ञानिक अधिकारियों की भूमिका: हाल के हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया गया, जिन पर आरोप है कि वे परमाणु हथियार और मिसाइल तकनीक को आगे बढ़ा रहे थे. इस हमले का उद्देश्य ईरान की रणनीतिक क्षमताओं को कमजोर करना है.
- हमास-इजराइल युद्ध की पृष्ठभूमि: 7 अक्टूबर 2023 के बाद गाजा में इज़राइल और हमास के बीच भीषण युद्ध हुआ. इज़रायल का आरोप है कि ईरान हमास, हिज़्बुल्लाह और हूती जैसे संगठनों को समर्थन देता है. ईरान पर मध्यपूर्व में इजराइल विरोधी आतंकी नेटवर्क चलाने का आरोप है.
- ‘Operation Rising Lion’- इज़राइल की बड़ी कार्रवाई: हालिया हमले को इजराइल की ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ का हिस्सा बताया गया, जिसमें 200 जेट विमानों ने 100 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया. यह एक सुनियोजित, गुप्त और बेहद तेज़ हमला था, जो सीधे तेहरान और इस्फहान तक पहुंचा.
- पश्चिमी देशों की मिलीभगत की चर्चा: कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि इजराइल को अमेरिका व अन्य पश्चिमी सहयोगियों से खुफिया समर्थन मिला. इससे यह भी संदेश गया कि ईरान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगरानी और दबाव में वृद्धि हो रही है.
इजराइल का ताजा हमला एक रणनीतिक कदम है, जिससे वह ईरान को चेतावनी दे रहा है कि वह न तो परमाणु हथियार बनाए और न ही इजराइल विरोधी आतंक संगठनों को समर्थन दे. यह हमला मिडिल ईस्ट में तनाव को और बढ़ा सकता है, लेकिन इज़रायल का इरादा स्पष्ट है: खतरा वहीं रोकना है, जहां वह पैदा होता है.