फूड कलरेंट्स क्या हैं और उनका बच्चों की सेहत पर क्या असर होता है : मानस शुक्ला कन्सल्टेंट पेडियाट्रिशियन

आजकल फूड कलर्स और एडिटिव्स का उपयोग बहुत आम हो गया है। खासकर प्रोसेस्ड फूड में इनका जमकर इस्तेमाल होता है। इनके उपयोग से खाना दिखने में बहुत आकर्षक हो जाता है, लेकिन आर्टिफिशियल फूड कलर्स या डाई का सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए बच्चों को संपूर्ण, प्राकृतिक आहार लेने का महत्व सिखाना जरूरी हो गया है। इसके लिए माता-पिता को आर्टिफिशियल फूड के नुकसानों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है। आज के फूड में मिठाई से लेकर ड्रिंक्स और पैस्ट्री से लेकर स्नैक्स तक हर चीज़ में आमतौर से सिंथेटिक डाई का उपयोग किया जाता है। इससे स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है, जो स्वास्थ्य विशेषज्ञों और ग्राहकों, दोनों के लिए चिंता का विषय है। सिंथेटिक फूड कलर से विशेषकर बच्चों को अधिक खतरा होता है क्योंकि उनका मस्तिष्क और शरीर विकास कर रहा होता है, जो इन कैमिकल्स से ज्यादा प्रभावित हो सकता है। मदर्स डे के अवसर पर बच्चों के स्वास्थ्य पर इन एडिटिव्स के प्रभाव को समझना आवश्यक है। डॉक्टर बच्चों के आहार में आर्टिफिशियल फूड कलरेंट्स के बढ़ते उपयोग को लेकर चिंतित हैं।

फूड कलरेंट्स क्या हैं?

फूड कलर्स, जिन्हें फूड डाई भी कहते हैं, मनुष्यों द्वारा बनाए गए कैमिकल्स होते हैं, जो खाने को और ज्यादा आकर्षक बना देते हैं। कभी-कभी इन कैमिकल्स से खाने का स्वाद भी बढ़ जाता है, जो लोगों को ज्यादा संतोष प्रदान करता है।

फूड कलर्स के प्रकारः
प्राकृतिक फूड कलर्सः इनमें प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किए गए पिगमेंट होते हैं, जैसे लाल रंग के लिए चुकंदर का अर्क, पीले रंग के लिए हल्दी और हरे रंग के लिए क्लोरोफिल। ये कलर सुरक्षित माने जाते हैं और इनके साईड इफेक्ट नहीं होते। हालाँकि कुछ लोगों को किन्हीं विशेष प्राकृतिक फूड कलर्स से एलर्जी हो सकती है।
सिंथेटिक फूड कलर्सः सिंथेटिक फूड कलर्स खाने को दिखने में ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कैमिकल पदार्थ होते हैं। माँओं को प्राकृतिक और सिंथेटिक फूड कलर्स के बीच का अंतर समझना बहुत जरूरी है, तभी वो अपने बच्चों के आहार के बारे में सही निर्णय ले सकती हैं।

आर्टिफिशियल फूड कलर्स शरीर को नुकसान पहुँचा सकते हैं। विशेषकर कम इम्युनिटी वाले या फिर बीमारी का इतिहास रखने वाले बच्चों पर इनका गंभीर असर हो सकता है। इसलिए फूड कलर्स वाले आहार से परहेज करना चाहिए और उनकी जगह स्वस्थ विकल्प चुनने चाहिए।
माँओं को इन एडिटिव्स के जोखिमों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है। खाने में फूड कलर्स से बच्चों की सेहत को निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं।

एलर्जिक प्रतिक्रिया
फूड कलर्स के कारण लोगों को विशेष तरह एलर्जी हो सकती है। यह प्रभाव उनके स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री के अनुरूप होता है। इसलिए अपने बच्चों को तीव्र एलर्जिक प्रतिक्रिया से बचाने, उनके पाचन की प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने, खाने की आदतों में परिवर्तन और मूड स्विंग आदि को रोकने के लिए उन्हें फूड कलर्स वाले आहार का ज्यादा सेवन न करने दें। अगर बच्चों के शरीर पर कोई विचित्र दाग, पाचन की समस्याएं और अन्य लक्षण दिखाई दें, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर माँओं को अपने बच्चे के स्वास्थ्य में होने वाले किसी भी परिवर्तन के लिए सतर्क रहने तथा कोई भी एलर्जिक प्रतिक्रिया दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करने का सुझाव देते हैं।

हाईपरएक्टिविटी
अध्ययनों में विशेष आर्टिफिशियल फूड कलर्स और बच्चों में हाईपरएक्टिविटी के बीच सीधा संबंध सामने आया है। हालाँकि इस बारे में कोई भी ठोस प्रमाण प्राप्त नहीं हुए हैं, लेकिन इस बात की संभावना देखी गई है कि अगर रोज फूड कलर्स का बहुत ज्यादा सेवन किया जाए, तो बच्चों में हाईपरएक्टिविटी हो सकती है।
इसलिए मदर्स डे के अवसर पर बच्चों को एक स्वस्थ व सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का संकल्प लीजिए। फूड लेबल्स को ध्यान से पढ़ें, देखें कि उसमें कोई ऐसी चीज तो नहीं, जो एलर्जिक रिएक्शन करती हो, तथा प्रोसेस्ड एवं आर्टिफिशियल कलर्स वाले फूड के सेवन से परहेज करें।इस बार मदर्स डे के अवसर पर अपने बच्चों की सेहत के लिए ज्यादा जागरुक ग्राहक बनने का संकल्प लीजिए।

बच्चों को क्या खिलाना है, इस बारे में सूचित निर्णय लेकर माएं उनका दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुनिश्चित कर सकती हैं। इसलिए माँओं को संपूर्ण और प्राकृतिक आकार को प्राथमिकता देनी चाहिए तथा अपने बच्चों को आर्टिफिशियल फूड कलर्स से बचाना चाहिए।

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