घड़ी की चाल जिस दिशा में है, उसके पीछे एक बड़ा कारण है.
दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
घड़ी देखना तो हमें बचपन से ही सिखा दिया जाता है पर घड़ी से जुड़े एक अहम सवाल का जवाब हमें नहीं बताया जाता. वो ये कि आखिर घड़ियां क्लॉकवाइज दिशा में ही क्यों घूमती हैं? यानी ऊपर से शुरू होती हैं, फिर दाएं घूमती हैं और बाएं जाती हैं. अगर आप घर के ऊपर किसी भी दिशा में मुंह कर के खड़े होंगे, तो आपको ये मूवमेंट (Why clocks move in clockwise direction) बाएं से दाएं जाता हुआ ही नजर आएगा. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों है, किसने घड़ी के इस मूवमेंट को तय किया है ?
दैनिक भास्कर की सीरीज अजब-गजब नॉलेज के तहत हम आपके लिए लाते हैं देश-दुनिया से जुड़ी ऐसी अनोखी जानकारियां जो आपको हैरान कर देंगी. आज हम बात करेंगे घड़ी के मूवमेंट (Why clocks have left to right movement) के बारे में. घड़ी हमेशा क्लॉक वाइज दिशा में चलती है. दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा पर हाल ही में किसी ने घड़ी से जुड़ा एक सवाल किया था, जिसका जवाब कई लोगों ने दिया है. तो चलिए इसका उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं, पर पहले जानते हैं कि आखिर लोगों ने क्या जवाब दिए ?
सनडायल की परछाई की वजह से घड़ी की चाल को भी तय किया गया.
कोरा पर लोगों ने क्या दिया उत्तर ?
सौरभ शर्मा नाम के व्यक्ति ने कहा- “संसार में सभी घड़ियां बाएं से दाएं घूमती हैं. विश्व की सबसे पहली घड़ी जो सूर्यघड़ी के नाम से जानी जाती है, वो समय मापती थी. चूंकि उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी की गति भी बाएं से दाएं दिशा में होती है और सूर्य भी आकाश में दक्षिणावर्त में पहुंचता है, इसे आधार मानकर सभी घड़ियों की गति को बाएं से दाएं रखा जाता है.” रामपाल नेगी नाम के यूजर ने कहा- “घड़ी की सुईया सीधे तरफ क्यों घूमती है? यह सही है कि घड़ी की सुइयां दक्षिणावृत्त या क्लॉक वाइज दिशा में घूमती हैं. संभवतया इसका कारण यह है कि हमारी पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है. इस कारण पृथ्वी से सूर्य हमें ,पूर्व से पश्चिम की ओर चलते हुए या घूमते हुए प्रतीत होता है जबकि वास्तव में सूर्य अपने एक स्थान पर स्थिर है. प्रारंभिक घड़ी निर्माताओं ने सूर्य की गति को ही सही व सत्य मान लिया तथा इसका अनुकरण करते हुए घड़ियों की सुइयों के घूमने की दिशा को भी हमेशा के लिए सूर्य के ही सापेक्ष पूर्व से पश्चिम की ओर अथवा दक्षिणावृत्त दिशा में घूमना तय कर दिया.”
क्या है सही जवाब ?
ये तो हो गए लोगों के जवाब, चलिए अब देखते हैं कि विश्वस्नीय सोर्सेज का इसपर क्या कहना है. रिपोर्ट्स की मानें तो नॉर्दर्न हेमेस्फियर में रहने वाली इन सभ्यताओं ने जब एक डंडा (Sundial) जमीन पर गाड़ा और उसकी परछाई को फॉलो किया तो उन्होंने पाया कि वो क्लॉकवाइज दिशा में आगे बढ़ रही है. लंबे वक्त तक यही नियम चलता रहा और समय की चाल को क्लॉकवाइज ही माना गया मगर जब दक्षिण गोलार्द्ध में डंडा गाड़ा गया तो धूप की परछाई एंटी क्लॉकवाइज चलने लगी.
इन दोनों जगहों पर समय की चाल में फेर बदल ना हो इसलिए पहले से शुरू हो चुकी क्लॉकवाइज चाल को ही घड़ी की सुई के चाल पर तय कर दिया गया. समय में ऐसा बदलाव नॉर्थ पोल और साउथ पोल की वजह से आता है. अगर कोई उत्तरी गोलार्द्ध के किसी देश जैसे मिस्र में सनडायल का इस्तेमाल करे तो उसकी परछाई क्लॉकवाइज ही घूमेगी लेकिन अगर आप ऐसा ही सनडायल साउथ अफ्रीका यानी दक्षिण गोलार्द्ध के किसी देश में लगाएं तो उसकी परछाई एंटीक्लॉकवाइज बनेगी. ये पूरा खेल धरती के रोटेशन के कारण होता है. दोनों पोल्स पर ये चाल अलग-अलग दिशा में घूमती नजर आती है. इस वजह से घड़ी का मूवमेंट भी ऐसा ही बनाया गया है.
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