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नियमों का पालन
जीवन को खुशहाल बनाने के लिए हम कुछ नियमों के घेरे में चलना पसंद करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यदि नियमों का पालन करके हम अपना जीवन व्यतीत करें तो वह सुखमय रहता है। नियम हमें सुचारु रूप से जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कभी भी नियमों में बंधकर नहीं रहना चाहते।
धार्मिक नियम
लेकिन जब बात ज़िंदगी में दुखों को काटकर सुख ग्रहण करने की हो तो हम अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसके लिए लोग कई बार तांत्रिक क्रियाओं का सहारा भी लेते हैं, लेकिन कुछ धार्मिक तरीकों को अपनाकर भी मनुष्य आसानी से जीवन में सुख की प्राप्ति कर सकता है।
ऊर्जा पर आधारित
शास्त्रों ने सुख-दुख को सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जा के जरिये परिभाषित किया है, जिसके अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा आए तो सुख एवं समृद्धि का वास होता है। लेकिन इसके विपरीत नकारात्मक ऊर्जा जीवन में उदासी एवं बदहाली लाती है।
कैसे प्राप्त करें सकारात्मक ऊर्जा
पूजा-पाठ हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, लेकिन यदि हम भगवान का नाम लेना भूल जाएं और शास्त्रीय नियमों का उल्लंघन करें तो धीरे-धीरे हमारा समय बुरा होने लगता है। हाथों से धन ऐसे निकलता है मानो पानी हो, और पारिवारिक खुशियों को भी जैसे किसी की नज़र ही लग जाती है।
शास्त्रीय मान्यताएं
इसलिए खासतौर पर भारत में शास्त्रीय बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। ऐसी बातें सुबह आंख खुलने के बाद भी अपना असर दिखाना आरंभ कर देती हैं। सुबह उठकर सबसे पहले क्या करें, पूजा कैसे करें, किस मंत्र का आह्वान करें, इत्यादि ऐसी बातें हैं जो हमारे दिन पर खासा प्रभाव डालती हैं।
सुबह सवेरे करें यह पहला काम
चलिये आपको कुछ ऐसी ही बातों से परिचित कराते हैं, ताकि आप भी इन्हें अपनाकर एक सुखमय जीवन की ओर कदम बढ़ाएं। शायद आपने कई बार बड़े-बुज़ुर्गों के मुख से सुना भी हो, कि सुबह सवेरे उठकर सबसे पहले दोनों हाथ जोड़कर प्रभु को प्रणाम करें और फिर हाथ खोलकर अपनी हथेलियों को ध्यान से देखें, लेकिन ऐसा क्यों?
हाथ की हथेली को देखें
हमने अक्सर ऐसा सुना है कि सुबह उठकर हम सबसे पहले जिसका चेहरा देखते हैं वह हमारे लिए शुभ या फिर अशुभ भी हो सकता है। इसलिए हम सुबह उठते ही आंखें खोलने के बाद कोई अच्छी वस्तु देखना पसंद करते हैं ताकि पूरा दिन अच्छे से व्यतीत हो।
क्या है कारण?
लेकिन सुबह उठते ही हाथों को देखने का क्या मतलब है? क्या इसका संबंध हमारे हाथों की लकीरों से हैं? या फिर हमारी किस्मत से… दरअसल हमारे शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि हाथों में सृष्टि के रचानाकार ब्रह्मा, धन की देवी लक्ष्मी और सुख एवं समृद्धि की देवी सरस्वती, तीनों का वास होता है। इसलिए सुबह-सुबह इन्हें देखना शुभ माना जाता है।
शास्त्रीय मान्यता
प्रसिद्ध ‘आचार्यप्रदीप’ के एक श्लोक में कहा गया है – कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती। करमूले स्थि तो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्।। इस श्लो क का एक अन्यी पाठ भी प्रचलित है, जो इस तरह है – ऊं कराग्रे वसते लक्ष्मी : करमध्येा सरस्वदती। करमूले च गोविंद: प्रभाते कुरुदर्शनम्।।
ब्रह्मा, लक्ष्मी, सरस्वती का वास
अर्थात हथेली के सबसे आगे के भाग में लक्ष्मीजी, बीच के भाग में सरस्वतीजी और मूल भाग में ब्रह्माजी निवास करते हैं। इसलिए सुबह दोनों हथेलियों के दर्शन करना करना चाहिए, ताकि दिन अच्छा गुज़रे और तीनों देव हमें आशीर्वाद प्रदान करें।
हाथों में तीर्थ
इन प्रमुख देवी-देवताओं के अलावा ऐसी मान्यता भी प्रसिद्ध है कि हमारे दोनों हाथों में कुछ तीर्थ भी होते हैं। चारों अंगुलियों के सबसे आगे के भाग में वतीर्थ है, इसके बाद तर्जनी के मूल भाग में पितृ तीर्थ समाया है, कनिष्ठा के मूल भाग में प्रजापति तीर्थ है और अंगूठे के मूल भाग में ब्रह्मतीर्थ का वास माना जाता है।
कल्याणकारी है इनके दर्शन
इसी तरह दाहिने हाथ के बीच में अग्नि तीर्थ समाया है और बाएं हाथ के बीच में सोमतीर्थ का वास है। इसके साथ ही अंगुलियों के सभी पोरों और संधियों में ऋषितीर्थ भी है। हिन्दू धर्म में हमेशा से ही तीर्थों के दर्शन शुभ माना गया है, इसलिए सुबह-सुबह यदि इन सभी के ही एक क्षण में दर्शन हो जाएं तो यह कल्याणकारी माना गया है।
साथ में करें मंत्र जाप
मान्यतानुसार यदि सुबह-सुबह हथेली देखते हुए व्यक्ति साथ में ही किसी विशेष मन्त्र का ध्यान भी करे तो यह अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है। इसके अनुसार हथेली देखते हुए आप ब्रह्माजी, मां लक्ष्मी जी या फिर सरस्वती जी के भी किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं।
क्या छूना है सही?
सुबह-सवेरे हथेली देखने के अलावा एक और मान्यता भी काफी प्रसिद्ध है, जिसके अनुसार हम सुबह उठते ही किस वस्तु को छूते हैं इसका भी हमारे दिन पर प्रभाव होता है। तो फिर सबसे पहले किस वस्तु को छूना चाहिये। शास्त्रीय मान्यतानुसार सुबह उठते ही बिस्तर से उतरते समय हमें कभी भी अपने पांव ज़मीन पर सीधे नहीं रखने चाहिये।
हाथ से करें भूमि देवी का स्पर्श
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धरती को माता के रूप में देखा जाता है, यह भूमि देवी है इसलिए यह आदरणीय हैं। यही कारण है कि हमें सुबह उठते ही उन पर पांव रखकर उनका निरादर नहीं करना चाहिए। इसलिए सबसे पहले अपने हाथ से धरती का स्पर्श करके हथेली को माथे से लगाएं और फिर इसके बाद ही अपना पांव नीचे रखें।