
महमूदाबाद, सीतापुर। अफसरशाही के फेर में फंसकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की विधवां पेंशन की पूरी राशि पाने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही है। मामले का निस्तारण दो माह में करने के हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नौ महीने बाद भी जब समस्या का समाधान नहीं हो सका तो सिस्टम की संवेदनहीनता से त्रस्त सेनानी की विधवां ने गणतंत्र दिवस पर मिलने वाले सम्मान को लेने से इंकार कर दिया। पीडि़ता अपने हक की पेंशन पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है।
मामला सीतापुर जनपद के सर्वाधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देने वाली महमूदाबाद तहसील क्षेत्र के ग्राम मीरानगर का है। यहां जिले के सर्वाधिक 33 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए हैं। यहां की निवासिनी कमलावती पत्नी श्यामनाथ सिंह ने उप जिलाधिकारी महमूदाबाद को प्रार्थनापत्र देकर बताया है कि 1932 से 1942 तक मीरानगर गांव में प्रतिदिन प्रातःकाल आजादी का झंडा उठता था। अंग्रेजों की कठोर प्रताड़ना के बाद भी आजादी के दीवानों के हौंसले नहीं और प्रभातभेरी लगातार आजादी के जयघोष के साथ निकलती रही। इसके बाद स्वतंत्रा संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले 32 अन्य साथियों के साथ श्यामनाथ सिंह को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घोषित किया गया और सम्मान स्वरूप पेंशन दी जाने लगी। श्यामनाथ सिंह की मौत के बाद केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इनकी दो पत्नियों को आधी आधी पेंशन देना शुरू किया था। इसके बाद एक पत्नी की मौत के बाद उसकी पेंशन तो बंद कर दी गई तो दूसरी जीवित बची पत्नी के लाख प्रयासों और निवेदनों के बाद भी उन्हें पूरी पेंशन नहीं दी गई। अपने हक की पूरी पेंशन पाने के लिए आखिरकार कलावती हाईकोर्ट की शरण में जा पहुंची। उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के अवलोकन के बाद हाईकोर्ट ने कलावती को पूरी पेंशन व अवशेष एरियर का भुगतान दो माह में करने के आदेश दिए। हाईकार्ट के आदेश के बाद जिलाधिकारी ने वरिष्ठ कोषाधिकारी को अविलंब समस्या के निस्तारण के निर्देष दिए थे। आरोप है हाईकोर्ट के आदेश तथा जिलाधिकारी के सख्त निर्देश भी कोषधिकारी के लिए बौने साबित हुए और हाईकोर्ठ के आदेश के नौ माह बाद राज्य सरकार द्वारा पूरी पेंश तो दी जाने लगी किंतु एरियर का भुगमान अभी तक नहीं हो सका ळें उधर केंद्र सरकार मिलने वाली अवशेष आधी पेंशन अभी तक मिलना नहीं शुरू हुआ और एरियर का भुगतान भी नहीं हो सका है। क्षुब्ध होकर कलावती ने उपजिलाधिकारी महमूदाबाद को पत्र लिखकर पेंश व एरियर की समस्या का समाधान होने तक स्वतंत्रता व गणमंत्र दिवस पर प्रशासन द्वारा दिए जाने वाले सम्मान को लेने से मना कर दिया है। जिनके पति ने अंग्रेजों के जृल्मों के सामने हार नहीं मानी और कोड़े खाने के साथ अन्य यातनाएं सहकर नहीं टूटे उनकी विधवा अपना पेंशन का हक पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।