बाराबंकी में न्याय को भटक रही विधवा, जानिए आखिर क्या है पूरा मामला

रामसनेहीघाट बाराबंकी। एक तरफ जहां सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त कर लोगों को सुलभ सस्ता न्याय उपलब्ध कराने का दावा कर रही है वहीं एक विधवा अपने परिवार के साथ तहसील ब्लाक का चक्कर लगाते हुए न्याय की गुहार लगा रही है लेकिन उसकी गुहार भ्रष्टाचार के नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही है और उससे कहा जा रहा है कि बिना रिश्वत काम नहीं होगा तथा हजार दो हजार कोई महत्व नहीं रखता है क्योंकि इतने के तो वह जूते पहनते हैं।

मामला विकास खण्ड बनीकोडर अन्तर्गत ग्राम पंचायत संडवा भेलू से जुड़ा हुआ है।इस गांव में रहने वाले गंगाप्रसाद पाठक पुत्र शारदा प्रसाद जो मंदिर के पुजारी थे। गंगाप्रसाद की मृत्यु गत 19 मई 22 को हो चुकी है। उनकी मौत से पहले राशन कार्ड बनवाने के लिए जब परिवार रजिस्टर की जरूरत पड़ी तो उनकी पत्नी शिवलली अपने पुत्र के साथ ब्लाक में अपने गांव के सेक्रेटरी के पास गई तो पता चला कि उनके परिवार रजिस्टर में गंगाप्रसाद को छोड़कर परिवार के किसी अन्य सदस्य का नाम उसमें दर्ज नहीं है परिवार रजिस्टर में गांव के ही अन्य बिरादरी के लोगों के नाम दर्ज हैं।इसकी जानकारी होते ही वह परेशान हो गई रोने लगी लेकिन इसका कोई असर सेकेट्री पर नहीं पड़ा।

उसने जब गलत नामों को हटाकर अपने परिवार के लोगों का नाम दर्ज करने का निवेदन किया तो उन्होंने खर्चा देने के लिए कहा। बेवा ने रोते हुए कहा कि बाबूजी गरीब हूं फिर भी आप ठीक कर दो हम कहीं से भी एक हजार रूपए लाकर दे दूंगी। इतना सुनते ही सेकेट्री साहब भड़क गए और कहा कि हजार दो हजार रुपए में क्या होता है इतने के तो हम जूते पहनते हैं। सेकेट्री की बात सुनकर बेवा रोते हुए वापस लौट आई। बेवा ने बीडीओ को शपथपत्र तथा उपजिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर न्याय दिलाने की फरियाद की और पिछले सप्ताह जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाले तहसील समाधान दिवस में पहुंची और इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई ।परिवार रजिस्टर में दर्ज फर्जी नामों को काटकर परिवार के लोगों का नाम दर्ज कराने की गुहार लगाई।जब उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उसने पुनः उपजिलाधिकारी को तथा पिछले जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाले तहसील समाधान दिवस में न्याय दिलाने की मांग की।

पीड़ित शिवलली वेवा गंगाप्रसाद ने बताया कि उसके परिवार में उसके पुत्र

रामकुमार ,रवि कुमार पाठक, हरिओम पाठक,शनि,मनीष कुमार,अनीस कुमार,क्रांति वह पुत्री ,सरला तथा
सोनल हैं लेकिन परिवार रजिस्टर में सिर्फ उनके दिवंगत पति गंगाप्रसाद पुत्र शारदा प्रसाद का नाम दर्ज है। पति के गांव के उमेश कुमार पुत्र जगत नारायण भांजे, पिछड़ी जाति के विचार दास,राजीव कुमार पुत्र जगत नारायण भांजे का नाम दर्ज है जबकि सभी लोग अपने अपने घरों में अलग रहते हैं और अन्य बिरादरी के है और उनके परिवार से कोई सम्बन्ध नही है। भांजे गांव के दूसरे घर मंदिर पर रहते हैं।

आश्चर्य तो इस बात का है की ग्राम पंचायत का अति महत्त्वपूर्ण अभिलेख में पीड़िता के परिजनों के बजाय अन्य लोगो का नाम कैसे दर्ज हो गया, जबकि यह बहुत ही मजबूत दसताबेजी अभिलेख है आखिर इसके पीछे क्या मंसूबा था यह एक यक्ष प्रश्न है
इस सम्बन्ध में बीडीओ ने बताया कि तहसील दिवस में शिकायत मिली है और ग्राम पंचायत की खुली बैठक बुलाकर परिवार रजिस्टर में संशोधन करने के निर्देश दिए गए हैं। क्या खुली बैठक ही इसका जवाब है वास्तव में इस गंभीर मामले में जांच कर कठोर कार्यवाही की अवश्यकता है की अभिलेख में गांव के अन्य लोगो का नाम कैसे दर्ज हुआ।

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