काशीपुर से विधायक चीमा के पुत्र त्रिलोक चीमा को भाजपा ने बनाया उम्मीदवार, तराईमें सिख वोटों को साधने की नीति
भास्कर समाचार सेवा
काशीपुर। विधानसभा चुनाव में काशीपुर विधानसभा सीट कुमाऊं की चर्चित सीट है। वर्तमान में हरभजन सिंह चीमा यहां से भाजपा से विधायक हैं। इस बार पार्टी ने उनके बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को टिकट दिया है। काशीपुर सीट की हरभजन सिंह चीमा को बेहतर समझ है।
दरअसल गुरुवार को भाजपा ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें भाजपा ने काशीपुर सीट से त्रिलोक सिंह चीमा को प्रत्याशी बनाया है। त्रिलोक सिंह चीमा काशीपुर से लगातार चार बार से चुने जा रहे विधायक हरभजन सिंह चीमा के पुत्र हैं। काशीपुर सीट से भाजपा के कई दावेदार इस आशा लगाये बैठे थे कि विधायक हरभजन सिंह चीमा की उम्र पार्टी की तय नीति से आगे चल रही है, ऐसे में उनके लिए मौका मिल सकता है। इसी बीच चीमा ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए टिकट दावेदारी में अपना नाम पीछे करते हुए अपने पुत्र की दावेदारी कर सभी को चौंका दिया। भले ही टिकट दावेदारों को यह परिवारवाद नजर आया, लेकिन बीजेपी आलाकामान को ऐसा उम्मीदवार मिला, जो चीमा की मौजूदगी को जिंदा रखते हुए तराई में सिख वोट बैंक को साध सकता है।
एंटी इनकंबेंसी फेक्टर तोड़ने में माहिर हैं चीमा
भाजपा के टिकट से लगातार बीस वर्षों से चुनाव जीतते आ रहे हरभजन सिंह चीमा को अपने खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी तोड़ने में महारथ हासिल है। चीमा को समय रहते एहसास हो गया था कि उनकी उम्र को लेकर इस चुनाव में स्थिति फंस सकती है। स्थिति को भांपते हुए 8 अक्टूबर 2021 को उन्होंने अपनी मौजूदगी बनाए रखने और उत्तराधिकारी के रूप में अपने बेटे त्रिलोक का नाम आगे कर दिया। सूत्रों की मानें तो इस निर्णय को लेने से पहले उन्होंने बीजेपी संगठन के शीर्ष नेताओं को इसकी जानकारी भी दे दी थी। इसको लेकर उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी।
यही कारण है कि उन्होंने बेटे त्रिलोक को सीएम के जरिये प्राथमिक सदस्यता दिलाते हुए चुनावी समय में दावेदारी पेश कर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दीं।
काशीपुर विधानसभा सीट पर 1,70,999 मतदाता हैं। वहीं इस सीट पर सिख समुदाय की आबादी भी अच्छी खासी है। इस सीट पर 62 फीसदी हिंदू हैं, जबकि 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।
त्रिलोक को पिता की राजनीतिक विरासत का मिला लाभ
बीते दो दशक में विधायक हरभजन सिंह चीमा के इर्द-गिर्द काशीपुर की राजनीति घूमती रही है। इस बार भी टिकट दावेदारों की लंबी फेहरिस्त के बीच भारतीय जनता पार्टी में सरदार का नाम एक बार फिर असरदार साबित हुआ। वैसे तो पार्टी प्रत्याशी त्रिलोक चीमा के पास राजनीतिक अनुभव नहीं है, लेकिन पिता का राजनीतिक अनुभव उनके साथ है। बीते दो दशकों से लगातार अच्छे वोटों से चीमा की जीत दर्ज कर विधायक बनना बेटे को टिकट दिलवाने का अहम कारण माना जा रहा है । दूसरी ओर तराई में सिख समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर भी चीमा का नाम आगे रहा है। वहीं बाजपुर में 20 गांवों के भूमि विवाद मामले को सुलझाने में विधायक चीमा का अहम रोल रहा।
अकाली दल कोटे से भाजपा में आये थे चीमा
काशीपुर। उत्तराखंड बनने से लेकर अब लगातार काशीपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा रहा है। हरभजन सिंह चीमा लगातार विधायक बनते आए हैं । दरअसल हरभजन सिंह चीमा अकाली दल कोटे के नेता रहे हैं। यही वजह रही कि पूर्व में अकाली दल ओर भाजपा गठबंधन का उत्तराखंड में चीमा को लाभ मिला और वे काशीपुर सीट भाजपा के टिकट पर जीतते-जीतते पूरे भाजपाई हो गए और अपनी दावेदारी त्याग बेटे को प्रत्याशी बनवा दिया।
आप के बाली से होगा सामना
काशीपुर। काशीपुर सीट पर आम आदमी पार्टी ने दीपक बाली को उम्मीदवार बनाया है, जो कि पिछले काफी लंबे समय से जनता के बीच सक्रिय दिख रहे हैं और लगातार डोर टू डोर कैंपेन कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है, लेकिन पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के पुत्र नरेंद्र चंद्र सिंह का नाम अचानक सामने आने से उनकी उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। वहीं बसपा ने भी काशीपुर विधानसभा सीट से पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रहे गगन कांबोज को प्रत्याशी बनाया है। समाजवादी पार्टी ने भी सरदार बलजिंदर सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया है तो वहीं उक्रांद ने भी मनोज डोबरियाल को प्रत्याशी घोषित किया है।
कई दावेदार भाजपाई हुए मायूस
काशीपुर। भारतीय जनता पार्टी द्वारा काशीपुर सीट से त्रिलोक सिंह चीमा का टिकट फाइनल होने के बाद टिकट की दौड़ में शामिल बाजपुर निवासी बलराज पासी समेत काशीपुर के राम मेहरोत्रा, आशीष गुप्ता, महापौर ऊषा चौधरी, गिरेंद्र चौधरी, गिरीश तिवारी, सीमा चौहान, गुरविंदर सिंह चंडोक समेत कई दावेदारों के चेहरे पर मायूसी छाई है।