लखनऊ. विद्याभारती पूर्वी उप्र क्षेत्र की भारतीय शिक्षा समिति अवध प्रांत की मातृभारती संगोष्ठी निरालानगर स्थित माधव सभागार में संपन्न हुई. संगोष्ठी का विषय ‘सशक्त महिला समर्थ भारत’ था. संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन, दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ.
संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करती हुईं उप्र की राज्यपाल महामहिम श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि इतने बड़े कार्यक्रम में आने का पहला अवसर प्राप्त हुआ है उन्होंने कहा कि शिक्षा से सिर्फ सर्टिफिकेट या जो हम लोग गोल्ड मेडल प्राप्त करते हैं वही नहीं मिलता बल्कि शिक्षा का सही अर्थ है मानव निर्माण. अगर हम हमारी ड्यूटी समझेंगे तो हम जानेंगे कि हमें क्या करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि बेटी को तन, मन और विचार से समृद्ध होना चाहिए. शारीरिक क्षमता भी उनके अंदर हो और मानसिक क्षमता भी हो. हमारे संविधान में भी 6 साल से 14 साल तक के बेटे-बेटियों की शिक्षा अनिवार्य है साथ ही महिलाओं के सम्मान की बात भी हमारे संविधान में लिखी है. ऐसा दुनिया के किसी भी संविधान में नहीं है.
महाभारत में अभिमन्यु का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि गर्भावस्था से ही शिशु पर ध्यान देना चाहिए. कुपोषण के लिए राज्यपाल महोदया ने कहा कि कई राज्यों में 14% से अधिक कुपोषित बच्चे हैं इसलिए हमें यह भी सोचना चाहिए हमारा आहार कैसा हो.
उन्होनें कहा इसके लिए हमें गर्भ संस्कार का कार्य शुरू करना चाहिए तो ही हमारे बच्चे गुणवान होंगे. बालक अपने पूरे जीवन का 80 प्रतिशत 8 साल की उम्र तक सीख लेता हैं इसलिए हमें ऐसे ही विचार से समृद्ध बालकों का निर्माण करना होगा तभी हमारा राष्ट्र समृद्ध व समर्थ होगा.
स्तनपान का अनिवार्य बताते हुए महामहिम ने कहा कि आज की माताएं दूध पिलाने से बचती हैं. माता के पहले दूध में रोग प्रतिकारक शक्ति होती है. पहला दूध माता का ही होना चाहिए. डेढ़ साल तक बच्चे को मां का दूध पीना चाहिए
भ्रूण हत्या के विषय पर बोलते हुए महामहिम ने कहा कि इस विषय में हम लोगों को जागृत होना ही होगा और खासतौर पर माताओं को इसका विरोध करना चाहिए. भ्रूण हत्या हमारे लिए शर्मनाक है.
हाथ उठाकर सभी को पानी बचाने का संकल्प करवाते हुए महामहिम ने कहा कि हमारी नदियां सूख गई हैं फिर भी हम पानी बचाने का संकल्प नहीं लेते. आधा गिलास पानी ही बचाए लेकिन इस का संकल्प लें कि हम पानी को बर्बाद नहीं होने देंगे. भोजन उतना ही ले जितना खा सकें, फेंके नहीं. सड़क पर कूड़ा कचरा न डालें यह भी हमारा संस्कार है.
दहेज जैसी कुरीति पर प्रहार करते हुए महामहिम आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जब मैं दीक्षांत समारोह में जाती हूं तो बेटे बेटियों दोनों से शपथ ग्रहण करवाती हूं. बेटों से शपथ में कहती हूं कि गोल्ड मेडलिस्ट हो गए हो अब गोल्ड मत मांगना. बेटियों से कहती हूं कि कोई दहेज मांगे तो उससे शादी करने से ही इंकार कर दो.
कार्यक्रम की प्रस्ताविकी रखते हुए विद्याभारती की राष्ट्रीय बालिका शिक्षा संयोजिका सुश्री रेखा चूडासमा ने कहा कि पूरे देश विद्याभारती 13000 विद्यालयों में लगभग 45 लाख छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जिसमें लगभग 13 लाख छात्राएं ही हैं. मातृभारती के माध्यम से हम इनके समग्र विकास पर काम करते हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साकेतधाम जबलपुर (मप्र) से पधारे आध्यात्मिक प्रवक्ता स्वामी गिरीशानंदजी सरस्वती महाराज ने कहा कि महिलाओं को शारीरिक, मानसिक रूप से सशक्त होना चाहिए। इसके लिए योग करना पड़ेगा।
विद्या भारती पंचपदीय शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करती है। हमें आनंद के लिए कुछ चाहिए। इसमें सुख-दुख दोनों होता है। अगर हम सुखी और दुखी हों तो सिर्फ देश के लिए हों।
स्वामी जी ने कहा कि महिलाओं में जोश ओर होश दोनों होना चाहिए। जिससे वह अपने निर्णय को लेकर सशक्त रहें। अगर महिलाएं ऐसा करने के सफल होंगी तो हमें सशक्त महिला, समर्थ भारत बनने से कोई रोक नहीं सकता।
इस अवसर पर विद्याभारती पूर्वी उप्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र जी, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री यतींद्र जी, महापौर संयुक्ता भाटिया जी, क्षेत्रीय मंत्री डा. जयप्रताप जी, प्रदेश निरीक्षक राजेंद्र बाबू जी, बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर जी, शिप्रा बाजपेई जी, हरेंद्र श्रीवास्तव जी, हरेराम पाण्डेय जी, दिनेश सिंह जी सहित विद्याभारती पूर्वी उप्र के अधिकारी गण, मातृभारती की पदाधिकारी व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे.