यस बैंक (Yes Bank Crisis) को संकट में डालने में देश की बड़ी कंपनियों का बहुत बड़ा हाथ है. ये वो कंपनियां हैं जो यस बैंक से सैकड़ों-हज़ारों करोड़ रुपए के क़र्ज़ लेने के बाद उसे चुकता नहीं कर रही है. बैंक का ये क़र्ज़ अब एनपीए हो चुका है. यानी अब इस रकम को डूबे हुए क़र्ज़ के मद में गिना जा रहा है.
आप कंपनियों के नाम पढ़कर दंग रह जाएंगे. ये वो कंपनियां हैं जो बड़े-बड़े दावे करती हैं. जिनका मार्केट कैपिटल हज़ारों करोड़ में है. इन कंपनियों को देश के चोटी के उद्योगपति चलाते हैं. इन उद्योगपतियों के लिए हुए क़र्ज़ का ख़ामियाज़ा अब यस बैंक के अदना खाता धारकों को उठाना पड़ रहा है. इनमें अनिल अंबानी से लेकर सुभाष चंद्रा तक शामिल हैं.
यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर से फ़िलहाल प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई पूछताछ कर रही है. ऐसे में जानिए किन-किन कंपनियों ने इस बैंक से कितना-कितना क़र्ज़ लेकर आम खाताधारकों को चूना लगाया. मीडिया की खबरों के मुताबिक़ देश के 10 बड़े उद्योग समूहों ने इस बैंक से 34 हज़ार करोड़ रुपए का क़र्ज़ ले रखा है.
अनिल अंबानी समूह की 9 कंपनियों ने यस बैंक से 12 हज़ार 800 करोड़ रुपए का क़र्ज़ ले रखा है जो इस वक़्त एनपीए हो चुका है. यानी बैंक का ये क़र्ज़ डूबा हुआ माना जा रहा है. इसी तरह ज़ी न्यूज़ के मालिक सुभाष चंद्रा के एस्सल समूह की 16 कंपनियों के ऊपर 8400 करोड़ रुपए का बैड लोन है.
किस कंपनी पर कितना क़र्ज़
- अनिल अंबानी समूह: 12,800 करोड़
- सुभाष चंद्रा का एस्सल समूह: 8,400 करोड़
- डीएचएफ़एल: 4,735 करोड़
- ओंकार रिटेलर्स एंड डेवलपर्स: 2,710 करोड़
- आईएल एंड एफ़एस: 2,500 करोड़
- रेडियस डेवलपर्स: 1200 करोड़
- जेट एयरवेज़: 1,100 करोड़
- कॉक्स एंड रिंग और गो ट्रैवल्स: 1,000 करोड़
- सीजी पावर: 500 करोड़
- खेतान समूह: 373 करोड़
तीसरे नंबर पर है डीएचएफ़एल (DHFL) समूह की चर्चित दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन और बिलीफ़ रिटेलर्स प्राइवेट लिमिटेड. इनके ऊपर यस बैंक का 4,735 करोड़ रुपए का क़र्ज़ एनपीए हो चुका है. इसी तरह आईएल एंड एफ़एस के सिर पर भी 2500 करोड़ का डूबा हुआ क़र्ज़ है. ख़स्ताहाल जेट एयरवेज़ ने भी बैंक से 1100 करोड़ रुपए का क़र्ज़ लेकर चुकता नहीं किया है.
सिलसिला यही नहीं थमा है, बल्कि इस सूची में कई और नामचीन कंपनियां शामिल हैं. केरकर समूह की दो कंपनियां, कॉक्स एंड किंग्स और गो ट्रैवल्स ने भी इस बैंक से एक हज़ार करोड़ रुपए का क़र्ज़ लिया, लेकिन चुकता नहीं कर रही हैं. खेतान समूह की कंपनी मैकल्योड रसल के ऊपर 373 करोड़ रुपए का बैड लोन है. इसी तरह ओंकार रिटेलर्स एंड डेवलपर्स ने बैंक से 2,710 करोड़ रुपए का लोन ले रखा है.
रेडियस डेवलपर्स ने 1200 करोड़ और थापर समूह की सीजी पावर कंपनी ने 500 करोड़ रुपए का क़र्ज़ यस बैंक से लिया हुआ है. इनमें कई कंपनियां पहले से ख़स्ताहाल थीं, लेकिन फिर भी यस बैंक ने इन कंपनियों को लोन दिया. कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो लगातार मुनाफ़े का दावा कर रही हैं, लेकिन फिर भी बैंक का क़र्ज़ नहीं चुकता कर रही हैं. इन सबके लोन की वजह से यस बैंक के लाखों खाताधराकों की मेहनत-पसीने की कमाई अभी डूबने के कगार पर पहुंच गई है.
अनिल अंबानी समूह की सफ़ाई
इस बीच अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह ने सफ़ाई दी है कि यस बैंक का लोन पूरी तरह सुरक्षित है और इसे सामान्य कारोबार के मक़सद से लिया गया था. रिलायंस ने दावा किया है कि चाहे इसके लिए संपत्ति बेचनी पड़े, लेकिन वो क़र्ज़ चुकाकर रहेगी.