हनुमानजी को “दलित” बताने वाले बयान पर योगी ने दी सफाई, जिन्हें धर्म के मर्म की जानकारी नहीं है, वे लोग…

हनुमान जी को दलित बताए जाने पर CM योगी के खिलाफ भड़के इस समाज के लोग, बजरंगबली के मंदिर पर किया कब्जा

प्रयागराज :  हाल ही में राजस्थान  में एक चुनावी कार्क्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश  के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ   ने कहा था कि हनुमान जी दलित जाति के थे. इस पर काफी सियासत सुरु हो गयी है. इस पर सफाई देते हुए   सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन्हें धर्म के मर्म की जानकारी नहीं है, वे लोग हर बात संकीर्णता के दायरे में देख रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोग संकीर्णता के दायरे में लाकर बाल की खाल निकाल रहे हैं। प्रयागराज जिले में आयोजित श्रीकुंभाभिषेकम् महोत्सव में रविवार को यूपी के सीएम ने कहा कि सनातन परंपरा को नहीं जानने वाले लोग ही सवाल खड़े करते हैं।

सीएम योगी ने कहा, ‘किसी के काम पर उंगली उठाना आसान होता है। दूसरों पर उंगली उठाने के बजाए यदि हर हर कोई अपनी जिम्मेदारी निभाए तो धरती दिव्य लोक में बदल जाए।’ अपने संबोधन में सीएम योगी ने कहा, ‘यह अत्यंत प्रसन्नता का क्षण है जब कुंभाभिषेकम् महोत्सव का आयोजन हुआ है, कांची कामकोटि मठ आदि शंकराचार्य परंपरा का प्राचीन मठ है।’ उन्होंने कहा, ‘देश और दुनिया में सनातन परंपरा का प्रचार प्रसार करने में शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती लगे हुए हैं।’

‘सनातन परंपरा को न जानने वाले करते हैं सवाल’
कुंभाभिषेकम् महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने कहा, ‘कुंभ भारत की सनातन परंपरा मानव कल्याण का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन है।’ उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा पूरे विश्व के कल्याण की कामना करती है। यही नहीं, योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो लोग सनातन धर्म को नहीं जानते हैं, वही लोग सवाल खड़े करते हैं।

प्रयाग का कुंभ देश और दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र’
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, ‘कुंभ महान परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। देश में चार स्थानों पर कुंभ का पवित्र आयोजन होता है और प्रयाग का कुंभ देश एवं दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है। कुंभ दिव्य शक्तियों को अर्जित करने का सुअवसर है।’ कार्यक्रम के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज के हर नागरिक से अतिथियों के स्वागत की अपील भी की।

कुम्भ विश्व में देगा एकता का संदेश: योगी आदित्यनाथ

हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें। दूसरों की कमियों को देखने के बजाय अपनी कमियों को देखे तो कुम्भ विश्व में एकता का संदेश देगा। कुम्भ का संदेश दुनिया के लिए प्रेरणादायी बनेगा। उक्त बातें रविवार को श्री कुम्भाभिषेकम कार्यक्रम के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही। उन्होंने कहा कि कुम्भ भारत की सनातन परम्परा है। यह मानव अध्यात्म का संदेश सदैव विश्व के लिए देता रहा है। कांचीकाम कोटि पीठ द्वारा आयोजित कुम्भाभिषेकम धार्मिक अनुष्ठान मनुष्य मात्र नहीं, विश्व के चर-अचर जीवों का कल्याण होगा। जिन्हें धर्म के सम्बन्ध में ज्ञान नहीं है, उनका संकीर्णता के भाव से किसी के कार्य पर उंगली उठाना आसान है। पूरे विश्व कल्याण के लिए ऐसे पुण्य कार्य करना महानता का लक्षण है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ से पूर्व ऐसे समय में कांचीकाम कोटि पीठ द्वारा धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करना देश व प्रयागराज के लिए दिव्यता का परिचय है। चार स्थानों पर कुम्भ के आयोजन होते हैं, जिसमें प्रयागराज कुम्भ का अपना अलग स्थान है, जो पूरे विश्व को एक नई उर्जा देने के साथ ही अलग कौतूहल व आकर्षण का केन्द्र होता है।

कुम्भ से अनेक प्रेरणा, अध्यात्मिक शुभ अवसर प्रदान करता है। पूरे आयोजन को भव्य व दिव्यता के साथ अपना योगदान हर व्यकित अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करें। कुम्भ का आयोजन पूरे विश्व के लिए एक संदेश देगा, जो एकता, स्वच्छता और अध्यात्म का संदेश हो सकता है। कांचीकामकोटि पीठ के द्वारा आयोजित कुम्भाभिषेकम् के विभिन्न पहलुओं को देखें तो यह मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। हजारों वर्ष पुरानी पम्परा से कांचीकाम कोटि पीठ ने साक्षात कराया, यह दिव्यता और भव्यता का परिचय है। उन्होंने कहा कि भारत में ही नहीं पूरे विश्व में द्विव्यता कण-कण में विद्यमान है, जिसे महसूस करने वाला व्यक्ति चाहिए। भारतीय सभ्यता पावन परम्परा का कार्यक्रम कांचीकाम कोटि पीठ ने किया, जिसके प्रेरणाश्रोत जगत गुरू जयेन्द्र सरस्वती महाराज ने रिबोध कराया। इस पीठ ने समय-समय पर सांस्कृतिक, धार्मिक जागृत करने की परम्पराओं को आगे बढ़ाने का कार्य किया, यह अति सराहनीय कार्य है। जो सभी पीठो के लिए अनुकरणीय है।

हर व्यक्ति अधिकार चाह रहा है। यदि कर्तव्य बोध का भाव, सब के मन में जागृत हो जाय तो आने वाला कुम्भ भव्य-दिव्य कुम्भ हो जायेगा जो देश व दुनिया का एक नया संदेश देगा। उन्होंने कांचीकाम कोटि पीठ के शंकराचार्य शंकरविजयेन्द्र सरस्वती महराज के निर्देशन में पीठ के प्रबन्धक काशी मणि,एन.सुन्दरम शास्त्री, सी.आर.राजेन्द्रम, राकेश शुक्ल, और मंच की अध्यक्षता कर रहे पूर्व न्यायमूर्ति व काशी हिन्दु विश्वविद्यलाय के चांसलर गिरधर मालवीय, रामानुचार्य, महामण्डलेश्वर संतोषदास, हंसदेवा आचार्य को धन्यवाद दिया।

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