यूं ही सुर्खियों में नहीं छा गए जस्टिस यशवंत वर्मा…बंगले में नगदी बरामद होने से लेकर पुराने आर्थिक घोटालों तक का सफर

नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उनके आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। यह खुलासा तब हुआ जब उनके घर में आग लगने की सूचना के बाद दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर जांच की। बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने से एक पुराने आर्थिक घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। यह घोटाला सिम्भौली शुगर मिल फ्रॉड मामले से जुड़ा हुआ है, जिसमें जस्टिस वर्मा भी आरोपी के रूप में नामित थे।


बता दें 2018 में सीबीआई ने सिम्भौली शुगर मिल्स लिमिटेड के खिलाफ जांच शुरू की थी, जिसमें कंपनी पर ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से लिए गए करोड़ों रुपए के ऋण को गलत तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप था। बैंक ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने किसानों के लिए जारी 97.85 करोड़ रुपए के ऋण का दुरुपयोग किया और इन धनराशियों को अन्य उद्देश्यों के लिए मोड़ दिया। मई 2015 तक इस घोटाले को संभावित धोखाधड़ी मानते हुए आरबीआई को रिपोर्ट कर दिया गया था। सीबीआई ने इस मामले में 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें यशवंत वर्मा 10वें आरोपी के रूप में सूचीबद्ध थे। उस समय, वह कंपनी के नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में कार्यरत थे। जांच धीमी होती चली गई और किसी बड़े कदम की घोषणा नहीं की गई।
फरवरी 2024 में एक अदालत ने सीबीआई को बंद पड़ी जांच को दोबारा शुरू करने का आदेश दिया था, लेकिन इसके कुछ ही समय बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया, जिससे सीबीआई की जांच को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। इस फैसले के बाद, सिम्भौली शुगर मिल घोटाले से जुड़े वित्तीय अनियमितताओं की किसी भी जांच की संभावना खत्म हो गई। रिपोर्टों के मुताबिक आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों को संदिग्ध परिस्थितियों में भारी मात्रा में नकदी मिली थी, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम तक पहुंच गया। कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह ट्रांसफर नकदी बरामदगी की जांच से संबंधित नहीं है।


हालांकि भारी मात्रा में नकदी मिलने से उनकी पुरानी वित्तीय गतिविधियों पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। इससे न केवल उनकी 22 सालों की बेदाग न्यायिक छवि प्रभावित हुई है, बल्कि सिम्भौली शुगर घोटाले में उनकी भूमिका पर भी नए सिरे से बहस छिड़ गई है। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। जस्टिस वर्मा उन्नाव बलात्कार जैसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई कर रहे थे। जनता के न्यायपालिका में भरोसे को बनाए रखने के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि यह पैसा किसका था और इसे जज को क्यों दिया गया। उन्होंने यह भी तंज कसा कि दमकल विभाग ईडी और सीबीआई से बेहतर काम कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है और उनकी रिपोर्ट आज भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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