अपने घर से दूर रहकर पढ़ाई या नौकरी करने वाले को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उनमें से एक सबसे बड़ी सम्सया आए दिन मकान मालिकों से होने वाला विवाद है. लेकिन अगर आप उत्तर प्रदेश में रहते हैं तो आपके लिए अच्छी खब़र है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य के विभिन्न शहरों में किराए के मकान में रहने वालों को बड़ी राहत दी है.
प्रदेश में किराएदार और मकान मालिकों के बीच विवादों को कम करने के मकसद से योगी सरकार ने नया अध्यादेश लागू किया है, जिसके तहत अब मकान मालिक किराए में मनमानी बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे. साथ ही प्रदेश में अब बिना कॉन्ट्रैक्ट के किराए का मकान नहीं मिल सकेगा.
दरअसल, किराएदारों और मकान मालिकों के बीच सैकड़ों मुकदमे अदालतों में लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यूपी सरकार ने मॉडल टेनेंसी एक्ट के आधार पर नया अध्यादेश तैयार किया है. शुक्रवार (8 जनवरी) को कैबिनेट की बैठक में एक बाई सर्कुलेशर के जरिए उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को मंजूरी दे दी है.
इसके तहत अब मकान मालिक सालाना 5 से 7 फीसदी तक ही किराया बढ़ा सकेंगे. किराए पर मकान देने के लिए अनुबंध कराना जरुरी होगा. वहीं इससे जुड़े विवादों का निपटारा रेंट अथॉरिटी एवं रेंट ट्रिब्युनल करेंगे. ट्रिब्युनल को 60 दिन के अंदर निपटारा करना होगा.
इस कानून के तहत मकान मालिक के साथ-साथ किराएदार को भी कुछ नियमों का पालन करमा होगा. किराएदार को भी जगह की देखभाल करनी होगी. दो महीने तक किराया न मिलने पर मकान मालिक किराएदार को हटा सकेंगे. मकान मालिक से बिना पूछे किराएदार कोई तोड़फोड़ मकान में नहीं करा सकेगा.
इसके साथ ही मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम दो महीने से ज्यादा का एडवांस नही ले सकेंगे. लेकिन गैर आवासीय परिसरों के लिए 6 महीने का एडवांस लिया जा सकेगा. मकान मालिक को किराए की रसीद देना जरुरी होगा. किराए संबंधी अनुबंध पत्र की मूल प्रति का एक-एक सेट दोनों के पास रहेगा.
इस अध्यादेश में कुछ संस्थानों को छुट दी गई है. इसके तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के उपक्रम, कंपनी, विश्वविद्यालय या सेवा अनुबंध के रूप में अपने कर्मचारियों को मकान देना, धार्मिक संस्थान, लोक न्याय अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड ट्रस्ट, वक्फ संपत्ति. को बाहर रखा गया है.