
- अखिलेश दुबे की गुंडई के सामने दो पार्टनर पीछे हटे, लेकिन नहीं झुकी कानपुर की प्रज्ञा
- होटल कब्जाने के लिए अखिलेश ने अपनी पड़ोसी परिवार की लड़की को भी नहीं छोड़ा
- लड़की को हराने के लिए चरित्र पर किया था प्रहार, अश्लील किताबें छपवाकर बंटवाई थीं
- रंगदारी अदा करने के चक्कर में बारादेवी चौराहे का होटल बिक गया तो कोर्ट पहुंची प्रज्ञा
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। जमीन-जायदाद कब्जाने और रंगदारी वसूलने के काले अध्याय में नया पन्ना जुड़ गया है। अखिलेश दुबे की पड़ोसी महिला ने सनसनीखेज आरोप चस्पा करते हुए तमाम साक्ष्य हाजिर किये हैं। तकरीबन 15 साल पहले बारादेवी चौराहे का आलीशान होटल कब्जाने के लिए अखिलेश दुबे सिंडिकेट ने होटल के तीन साझेदारों को धमकाना शुरू किया। पुरुष साझेदार को विष-कन्या के जरिए फर्जी मामले में फंसाकर लाखों रुपए वसूले, लेकिन महिला साझेदारों ने मैदान नहीं छोड़ा तो चरित्र हत्या की हरकत पर साकेत दरबार उतर आया। मोर्चा संभाले ब्राह्मण मर्दानी के लिए तमाम भद्दे-भद्दे शब्द गढ़े गए तो दूसरी महिला ने साझेदारी से खुद को अलग कर लिया। इसके बाद अखिलेश दुबे सिंडिकेट ने मोर्चे पर मुस्तैद महिला के चरित्र की अश्लील कहानियां गढ़कर मस्तराम सरीखा किताब छपवाईं। इसके बाद तमाम बैंक-वित्तीय संस्थानों सहित गली-मोहल्लों के नुक्कड़ पर मुफ्त में बंटवाकर बदनाम करने की ओछी हरकत से परहेज नहीं किया। महिला ने इच्छामृत्यु का फरियाद लगाई तो घबराकर अखिलेश दुबे गैंग पीछे हटा, लेकिन तब तक होटल नीलाम हो चुका था। अखिलेश की सताई महिला ने पुलिस कमिश्नर को शिकायती पत्र देकर इंसाफ की गुहार लगाई है।
पड़ोसी परिवार की बिटिया पर तरस नहीं आया
किस्सा अखिलेश दुबे के पड़ोसी परिवार से जुड़ा है। उम्र में बेटी जैसी प्रज्ञा त्रिपाठी (विवाह के बाद त्रिवेदी) ने वर्ष 2009 में दो साझेदारों के साथ मिलकर बारादेवी चौराहे पर होटल कांटिनेंटल खोला तो कुछ समय बाद अखिलेश दुबे की नजर में चढ़ गया। पहले-पहले होटल के साझेदार तात्याटोपे नगर निवासी ओम जायसवाल के जरिए औने-पौने में बेचने का ऑफर भेजा गया, लेकिन प्रज्ञा और दूसरी साझेदार उर्वशी रस्तोगी ने इंकार कर दिया। ऐसे में साकेत दरबार का क्रोध सातवें आसमान पर था। पुरुष पार्टनर ओम जायसवाल को विष-कन्या के जरिए फर्जी मामले में फंसाकर लाखों रुपए की उगाही हुई। वह शहर छोड़कर चला गया तो महिलाओं से निबटने के लिए पहले शागिर्दों-गुर्गों के जरिए उर्वशी और प्रज्ञा के लिए अश्लील बातों को फैलाया गया तो उर्वशी ने खुद को होटल के कारोबार से अलग कर लिया। अलबत्ता प्रज्ञा त्रिपाठी मोर्चे पर मुस्तैद थीं। प्रज्ञा ने तमाम सबूत साझा करते हुए आरोप लगाया कि, एक महिला के लिए चरित्र ही सबसे बड़ी पूंजी होती है, ऐसे में अखिलेश दुबे उसके चरित्र की फर्जी अश्लील कहानियां गढ़कर किताब छपवाईं और बैंक-वित्तीय संस्थान सहित तमाम स्थानों पर मुफ्त में बांटी गईं।
गली-मोहल्ले में बदनामी के बाद भी सबक सिखाया
अखिलेश दुबे के पड़ोसी प्रज्ञा के परिवार को सच मालूम था, लिहाजा उसका हौंसला नहीं टूटा। स्थानीय अदालतों के जरिए साकेत दरबार के मुंशी और शागिर्दों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। चरित्र-हत्या के खिलाफ प्रज्ञा ने वर्ष 2010 में स्थानीय पुलिस के सामने गुहार लगाई, लेकिन तत्कालीन एसपी-सिटी कुशहर सौरभ और बाबूपुरवा के क्षेत्राधिकारी सौरभ समीर ने साकेत दरबार की हाजिरी लगाने के कारण प्रज्ञा त्रिपाठी को बैरंग लौटा दिया। ऐसे में प्रज्ञा ने वर्ष 2013 में सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर इच्छामृत्यु की गुहार लगाने का ऐलान किया। इस हुंकार से अखिलेश दुबे डर गया और प्रज्ञा की चरित्र-हत्या का चैप्टर बंद हुआ। प्रज्ञा बताती हैं कि, इस लड़ाई में उनके डाक्टर पति ने बहुत साथ दिया। अखिलेश दुबे की दबंगई से डरकर तमाम लोग शहर छोड़ गए, कुछ अज्ञातवास में चले गए, लेकिन प्रज्ञा की हिम्मत की दाद देनी होगी। शादी के पहले अखिलेश की पड़ोसी थी, और शादी के बाद अखिलेश दुबे के आवास के करीब साकेत नगर में सरस्वती अपार्टमेंट में आशियाना बनाया है।
शादी वाले दिन दुल्हन को उठवाने का फरमान
प्रज्ञा का दावा है कि, वर्ष 2011 में विवाह तय हुआ तो चरित्र-हत्या की कोशिश के बावजूद विवाह तुड़वाने की हरकत से बाज नहीं आया। अखिलेश ने अपने दरबारी पुलिस इंस्पेक्टर्स के जरिए दुल्हन को फेरों से पहले अगवा करने का फरमान जारी कर दिया। साकेत दरबार का फरमान प्रज्ञा के परिवार तक पहुंचा तो माता-पिता सहम गए, लेकिन दुल्हन के परिवेश में सजी प्रज्ञा ने अपने होने वाले पति से संवाद किया और मंडप के नीचे मोर्चा थामकर खड़ी हो गई। प्रज्ञा के तेवर देखकर तत्कालीन दरबारी पीछे हट गए और प्रज्ञा त्रिपाठी ने प्रज्ञा त्रिवेदी बनकर नया जीवन शुरू किया, लेकिन अखिलेश दुबे से जंग के साथ। सोमवार को पुलिस कमिश्नर को अखिलेश दुबे की शिकायतों का पुलिंदा सौंपकर इंसाफ की गुहार लगाई है। मामले की जांच के लिए एसआईटी को शिकायती पत्र भेजा गया है। प्रज्ञा का कहना है कि, न्याय की उम्मीद है, क्योंकि सत्यमेव जयते…..।