कानपुर : दफ्तर के खास चाटुकारों से घिरे रहने वाले डीएम जिले से विदा!

राज्यमंत्री के पति पूर्व सांसद ने डीएम के ओएसडी पर लगाए थे वसूली के गंभीर आरोप

-जनता से लेकर जनप्रतिनिधि तक कोई संतुष्ट नहीं रहा
-समस्याओं के निस्तारण में कभी गंभीरता नहीं दिखाई
-खूब शस्त्र लाइसेंस बांटे, मिट्टी खनन की फाइलें स्वीकृत कीं

भास्कर ब्यूरो
कानपुर देेहात। जिले के डीएम आलोक सिंह का कार्यकाल करीब 22 महीने रहा। बेहद थका हुआ कार्यकाल कहा जाएगा। जहां न कोई चेतना और न ही संवेदनशीलता दिखी। सूत्रों की मानें तो दफ्तर के कुछ खास चाटुकारों से घिरे रहने वाले डीएम साहब उनके इशारे के बाद ही फाइल को निस्तारित करते थे। चाहे वो शस्त्र लाइसेंस का मामला हो या फिर मिट्टी व बालू खनन की फाइलें हों। खूब मिट्टी खनन हुआ किसी के खेत खोदे गए किसी का खलिहान। किसान रोते रहे लेकिन साहब के कानों में जूं नहीं रेंगा। जिले के मुखिया का मिजाज जनता कभी समझ न पाई। एक या दो को छोडक़र बाकी जनप्रतिनिधि भी डीएम साहब के बादशाही रवैये से बेहद असंतुष्ट थे। बावजूद इसके उन्होंने 22 महीने जिले में गुजार दिए।

अफसरों को कहने के लिए तो जनता को सेवक कहा जाता है लेकिन सितंबर 23 में डीएम की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद आलोक सिंह खुद को बादशाह से कम नहीं समझते थे। जनता के लिए हमेशा दरवाजा खुले रखने की योगी सरकार की तमाम नसीहतों को दरकिनार कर डीएम साहब ने अपने दफ्तर के पास एक बैरियर लगा रखा था। वह हमेशा बंद रहता था। गांव से आने वाले ग्रामीण बैरियर बंद देख अंदर जाने से हिचकते थे। डीएम की गाड़ी दफ्तर के पोर्च में खड़ी है तो बैरियर बंद ही रहेगा। चाहे माननीय हो या फिर कोई और हो। गार्ड डीएम दफ्तर परिसर के अंदर गाड़ी लेकर जाने से रोकते थे। इसके पहले भी तमाम डीएम रहे जिनसे पक्ष और विपक्ष दोनों हमेशा खुश नजर आते थे। उन्हें दफ्तर के बाहर बैरियर लगाने की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई। फिलहाल डीएम के जाने के बाद सोशल मीडिया में भी उनके निराशाजनक कार्यकाल की चर्चा हो रही है। राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी ने डीएम की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा किया था। राज्यमंत्री और पूर्व सांसद ने तो डीएम के ओएसडी दिलीप कुमार पर खुलेआम वसूली के गंभीर आरोप लगाए हैं।

खूब घोटाले हुए डॉक रनर बने रहे डीएम
जिले में कई बड़े घोटाले हुए। मामला मीडिया में खूब उजागर हुआ तो डीएम साहब डॉक रनर की भूमिका निभाकर शांत बैठे रहते थे। घोटालों के मामलों में प्रभावी कार्रवाई के सवाल पर डीएम का एक ही उत्तर होता था कि पत्र शासन को भेज दिए हैं। रनियां नगर पंचायत में करोड़ों के घोटाले की पुष्टि के बाद डीएम ने शासन को पत्र भेजकर स्थानांतरण के लिए तो लिखा लेकिन करोड़ों रुपये डकारने वाले ईओ दंपति पर ठोस कार्रवाई की कोई पहल नहीं की। जिला अस्पताल में मेडिकल उपकरण खरीद, लघु सिंचाई की बोरिंग के नाम पर घोटाला किसी मामले में कार्रवाई के लिए साहब ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।

मनमाना फरमान गौशाला के अंदर नहीं जाएगा कोई
मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट गौवंश संरक्षण को मजाक बनाया गया। गौवंश आश्रय स्थलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। जब भी अंदर से तस्वीरें आती हैं तो प्रशासनिक विफलता दिखाई पड़ती है। डीएम साहब ने एक अघोषित फरमान जारी कर दिया था कि गौशालाओं में कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं करेगा। गौशाला में जाने पर प्रधान से लेकर वहां रहने वाले केयरटेकर डीएम के अघोषित आदेश की दुहाई देते रहते थे। अंदर पेट न भरने से गायें सूख गई हैं। दिनोंदिन कमजोर होकर मर रहीं हैं। किसी भी गौशाला का औचक निरीक्षण कर लिया जाए सच्चाई सामने आ जाएगी।

कपिल सिंह आज ग्रहण कर सकते हैं कार्यभार

कानपुर देहात के नए डीएम कपिल सिंह की मंगलवार देर रात तक आने की संभावना है। संभवता वह बुधवार को कार्यभार ग्रहण करेंगे। हो सकता है वो देर रात में ही चार्ज ले लें। कपिल सिंह की तैनाती अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी यमुुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में थी। जिले के डीएम आलोक सिंह को राज्य संपत्ति विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है।

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