कौन हैं पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी?, 2002 से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का अगला मुख्यमंत्री बनाया गया है। कैप्टन ने शनिवार को यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें पार्टी में अपना अपमान महसूस हुआ है। वो पार्टी में हैं, आगे का फैसला समर्थकों से बात कर लेंगे । सिंह ने ये भी कहा कि आगे के लिए विकल्‍प खुले हैं । सिंह के इस्‍तीफे के बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य की कमान सौंपने का फैसला किया है । कौन हैं चन्‍नी, आगे जानिए ।

चमकौर साहिब सीट से विधायक
चरणजीत सिंह चन्‍नी चमकौर साहिब सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। वह दलित समुदाय से आते हैं। खास बात ये कि चरणजीत सिंह चन्नी कभी कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़ास हुआ करते थे लेकिन फिर उनके धुर विरोधी हो गए। 2017 में चरणजीत सिंह चन्नी को उच्च शिक्षा मंत्री बनाए गए थे, तब वे खुद 12वीं पास थे। इसे लेकर जमकर विवाद भी हुआ था। जिसके बाद 2017 में ही पंजाब यूनिवर्सिटी में उन्‍होंने ग्रेजुएशन के लिए दाखिला लिया था।

पहली बार दलित नेता को कमान
चरणजीत सिंह चन्नी की छवि डाउन टू अर्थ नेता की , वो एक सिख फेस भी हैं। 58 वर्षीय चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस पार्टी से तीसरी बार विधायक चुनकर आए हैं । राज्‍य में ये पहला मौका है जब किसी दलित को पार्टी ने राज्य में कमान सौंपी है । चन्‍नी, राज्य में नेता विपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में चन्‍नी तकनीकी शिक्षा मंत्री के तौर पर कामकाज देख रहे थे।

2002 से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

चरणजीत सिंह का राजनीतिक सफर 2002 में खरार नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के साथ शुरू हुआ था, साल 2007 में उन्‍होंने पहली बार निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से जीते। इसके बाद 2012 में कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर से उसी सीट से विधायक चुन कर आए । चन्‍नी तब विवादों में आ गए थे जब बतौर मंत्री रहते हुए उन पर आईएएस महिला अधिकारी ने उन पर अनुचित संदेश भेजने का आरोप लगाया था। ये 2018 का मामला है । इसके अलावा वो तब विवादों में आए जब इसी साल, 2018 में वह एक पॉलिटेक्निक संस्थान में व्याख्याता के पद के लिए दो उम्मीदवारों के बीच फैसला करने के लिए एक सिक्का उछालते हुए कैमरे में कैद हो गए। इसके अलावा चन्नी ने एक बार अपने सरकारी आवास के बाहर सड़क का निर्माण भी करवाया था, ताकि उनके घर में पूर्व से एंट्री की जा सके । बाद में इसे चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे तुड़वा दिया ।

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