जिनपिंग-ओली के बीच तकरार, ड्रेगन के इस ‘खास’ से नहीं करेंगे मुलाकात!

चीन अक्सर दूसरे देशों पर काबू और अपना प्रभुत्व जमाने के लिए दोस्ती का जाल फेंकता है. जिसमें अभी तक कई देश फंस चुके हैं. जैसे कि पाकिस्तान श्री लंका और अब इस सूची में सबसे ताज़ा नाम है नेपाल का. पिछले कुछ वक्त से नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने की चाह में अंधे हो कर चीन पर भरोसा कर रहे थे. और इस भरोसे का फ़ायदा उठा कर चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत नेपाल की जमीन पर कब्ज़ा करने में जुटा था. लेकिन चीन की यह चाल नेपाल की जनता और विपक्ष के साथ साथ ओली की खुद की पार्टी के लोग समझ गए थे और सभी पीएम ओली का विरोध करने लगे. जिसके बाद ओली को अपनी सरकार के गिरना का डर सताने लगा. इसी क्रम में अब एक और बड़ी खबर सामने आई है. बता दें नेपाल को अपने अधीन बनाने की कोशिश में जुटे चीन को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली एक तगड़ा झटका दे सकते हैं. 

जी हां दरअसल, सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी जारी सियासी संग्राम को खत्म करने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने खास संदेशवाहक को काठमांडू भेज रहे हैं. इस बीच खबर आई है कि पीएम ओली चीन के इस विशेष दूत से मिलने से इनकार कर सकते हैं. ऐसे में चीन के अरमानों पर पानी फिरना तय है.

पीएम ओली और पुष्प कमल दहल के बीच जारी घमासान को शांत कराने में चीनी राजदूत हायो यांकी के फेल होने के बाद जिनपिंग की चिंता बढ़ गई है. आनन-फानन में उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्‍ट्रीय विभाग के उप मंत्री गूओ येझोउ को चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ नेपाल भेजा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अपने चार दिन के काठमांडू दौरे में गूओ येझोउ नेपाल के राजनीतिक हालात को लेकर कई नेताओं से मुलाकात करेंगे. 

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अपनी नेपाल यात्रा के दौरान चीनी मंत्री नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के दोनों ही धड़ों के नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. इससे पहले नेपाल में चीनी राजदूत ने राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, प्रचंड, माधव कुमार नेपाल और झाला नाथ खनल के साथ मुलाकात की थी. हालांकि, तब भी ओली ने नेपाली राजदूत से मिलने से इनकार कर दिया था.

दरअसल, सूत्रों के हवाले के बताया है कि चीनी राजदूत हाओ यांकी ने गूओ येझोउ की यात्रा की सभी तैयारियों को पहले ही पूरा कर लिया है. उन्होंने जिनपिंग के इस खास दूत से मुलाकात के लिए ओली और प्रचंड से समय भी मांगा है. बताया जा रहा है कि प्रचंड ने चीनी दूत के साथ मुलाकात के लिए अपनी सहमति दे दी है, लेकिन ओली ने अभी तक इस प्रस्ताव का कोई जवाब नहीं दिया है.

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