…तो क्या कैप्टन का अगला पड़ाव BJP होगी, दिल्ली में अमित शाह-नड्डा से होने जा रही मुलाकात

नई दिल्ली : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह राजनीतिक उठापटक को लेकर बीते कुछ दिनों से चर्चा में हैं. ताजाघटनाक्रम में वह आज दिल्ली रवाना होंगे. इस दौरान वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

गौरतलब है कि पंजाब कांग्रेस में लंबी खींचतान के बाद अमरिंदर सिंह ने 18 सितंबर को पूरी कैबिनेट के साथ इस्तीफा दे दिया था. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह ने कहा था कि वह खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे, जिसके बाद उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया.

दरअसल पंजाब की सियासत में बीते एक हफ्ते में जो कुछ हुआ है उसके बाद सबकी नजरें कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हैं. कैप्टन भविष्य की राजनीति में विकल्प की बात भी कह चुके हैं. ऐसे में सवाल बना हुआ है कि क्या कैप्टन कांग्रेस का हाथ छोड़ेंगे ? अगर कैप्टन कांग्रेस छोड़ेंगे तो उनका अगला कदम क्या होगा?. पंजाब में अगले साल 2022 में विधानसभा चुनाव (punjab assembly election 2022) होने हैं, उससे पहले कांग्रेस ने तो अमरिंदर सिंह को हटाकर पंजाब को पहला दलित मुख्यमंत्री दे दिया, लेकिन अब सबकी निगाहें कैप्टन के अगले कदम पर हैं.

इस्तीफा देने के बाद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पर हमलावर हो रहे हैं. हालांकि, उन्होंने अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह कांग्रेस के साथ ही रहेंगे या आने वाले दिनों में दूसरी पार्टी का दामन थामेंगे. कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह या तो भाजपा में शामिल हो सकते हैं या खुद की नई पार्टी बनाने की घोषणा कर सकते हैं.हालांकि अटकलें लगाईं जा रही हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेहतर संबंध है. पर एक सीज़नल राजनीतिक होने के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह जो भी फैसला लेंगे वह सोच समझ कर ही लेंगे. उनके फैसले पर कांग्रेस हाईकमान की नजरें टिकी हुई है कि वह किसी भी तरह से उन्हें नाराज नहीं करना चाहते.

दरअसल , भाजपा पहली बार अकाली दल से अलग होकर पंजाब में अपने दम पर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है. भाजपा के पास राज्य में फिलहाल मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर कोई कद्दावर चेहरा नहीं है. राजनीतिक जानकार भी यह मानते हैं कि कैप्टन जैसे बड़े नेता के साथ जुड़ने का फायदा भाजपा को राज्य में हो सकता है जैसा असम में हुआ था.

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