धनतेरस पर ज्वेलरी खरीदने जा रहे हैं तो रखें इन  बातों का ध्यान, जानें हॉलमार्क चिन्ह का महत्व

धनतेरस के मौके पर सोने-चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन गहने खरीदने से लक्ष्मी की कृपा बरसती है. लेकिन कई बार हम बिना मानक और शुद्धता देखे ही ज्वेलरी खरीद लेते हैं. इससे नुकसान भी उठाना पड़ता है. सवाल ये है कि आप इसकी शुद्धता, असली है या नहीं इसकी पहचान कैसे करेंगे? आइए हम आपको पूरी जानकारी देते हैं..

देहरादूनः त्योहारी सीजन के मद्देनजर सर्राफा बाजार तैयार है. दीपावली और धनतेरस के मौके पर आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है. अगर आप भी सोने या चांदी के गहने खरीदने जा रहे हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें. अक्सर ग्राहक आभूषण खरीदते समय कुछ सामान्य गलतियां करते हैं, जो उन्हें महंगा पड़ सकता है. जी हां, जब भी आप आभूषण खरीदें हॉलमार्क ज्वेलरी का विशेष ध्यान रखें. जिससे आपके हाथ गुणवत्तापूर्ण और शुद्ध आभूषण लग सकें.आपके सोने व चांदी के गहनों पर हॉलमार्क (Hallmark) है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. लेकिन कई ज्वेलर्स बिना जांच प्रक्रिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगाते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि हॉलमार्क ओरिजिनल है या नहीं. असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. ऐसे में उपभोक्ता जो भी ज्वेलरी खरीद रहे हैं, उन पर तीन निशान अवश्य देखें. सबसे पहले भारत में मानक ब्यूरो का तिकोने का निशान, इसके अलावा 22K 916 की शुद्धता की गारंटी को भी अवश्य जांच लें. इसके अलावा ज्वेलरी में 6 डिजिट का अल्फा न्यूमेरिकल नंबर जरूर देखें.

क्या है हॉलमार्क? हॉलमार्क प्लेटिनम, सोने, चांदी और अन्य बहुमूल्य धातुओं पर लगाए जाने वाली आधिकारिक मोहर है. ये उसकी गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए लगाई जाती है. ज्वेलरी खरीदने वाला ग्राहक निश्चिंत हो सकता है कि वो जो सोना खरीद रहा है, वो किस कैटेगरी का है और शुद्ध कितना है? हॉलमार्क का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (Bureau of Indian Standards) करती है. सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ बीआईएस (BIS) का लोगो लगाना जरूरी है.

असली हॉलमार्क पर BIS (बीआईएस) का तिकोना निशान होता है. उस पर हॉलमार्किंग केंद्र का लोगो होता है. जिसमें सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. ज्वेलरी कब बनाई गई है, इसका वर्ष लिखा होता है. साथ ही ज्वेलर्स का लोगो भी होता है. ग्राहकों को नकली माल से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है.

हॉलमार्क चिन्ह का महत्वः आभूषण में मिलावट रोकने के लिए हॉल मार्किंग की व्यवस्था है. यह व्यवस्था बेहद पुरानी है और अलग-अलग देशों में हॉल मार्किंग की व्यवस्था भी अलग-अलग है. हॉलमार्क के आभूषण अंतरराष्ट्रीय मानक के होते हैं. प्लेटिनम, सोने, चांदी, हीरे आदि के आभूषणों की गुणवत्ता की पहचान के लिए हॉलमार्क चिन्ह की एक समान व्यवस्था है. इस पर भारत सरकार की गारंटी होती है.

आप कैसे पहचानेंगे हॉलमार्क? हॉलमार्क आभूषणों की पहचान बहुत आसान होगी. हॉलमार्क युक्त ज्वेलरी पर अलग-अलग तरह के निशान होंगे. जिन्हें आप छूकर महसूस करने के साथ देख भी सकते हैं. किसी सोने के आभूषण पर BIS का लोगो, सोने की शुद्धता (22 कैरेट, 18 कैरेट आदि), हॉलमार्क सेंटर का लोगो के अलावा हॉलमार्किंग का साल और ज्वेलर्स का पहचान नंबर होगा.

पिथौरागढ़ और देहरादून जिलों में ही हॉल मार्किंग लागूः भारतीय मानक ब्यूरो की देहरादून शाखा के प्रमुख सुधीर विश्नोई का कहना है कि भारत सरकार ने बीते 16 जून से देश के 256 जिलों में हॉल मार्किंग को अनिवार्य किया है. उत्तराखंड में भी पिथौरागढ़ और देहरादून जिलों में ही हॉल मार्किंग लागू की गई है. उन्होंने बताया कि 16 जून से पूरे प्रदेश में 300 ज्वेलर्स ऐसे थे, जिन्होंने हॉल मार्किंग ज्वेलरी बेचने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो का रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन अब 1100 ज्वेलर्स ऐसे हैं, जिन्होंने मानक ब्यूरो में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है.

ज्वेलरी शॉप क्या मानक ब्यूरो से रजिस्टर्ड है? सुधीर विश्नोई ने बताया कि ग्राहक ज्वेलरी की खरीदारी करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिस ज्वेलर्स से खरीदारी की जा रही है, क्या वो मानक ब्यूरो से रजिस्टर्ड है? इसके लिए आभूषण विक्रेता को मानक ब्यूरो के रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र काउंटर पर लगाने के लिए अनिवार्य किया गया है. उन्होंने कहा कि कोई भी ज्वेलरी यदि खरीदी जा रही है तो उसका बिल अवश्य लेना चाहिए.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें