नंदा भगवती की देवरा यात्रा की तैयारियों में जुटे नीति घाटी के लोग

देवता यात्रा परंपरा अनुसार 2022 में आयोजित होगी

प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल में आयोजित होती है यात्रा

जोशीमठ। सीमान्त नीति घाटी के सिद्धपीठ लाता की नन्दा भगवती की देवरा-यात्रा पुरातन काल से चली आ रही परंपराओं के अनुसार 2022 में आयोजित होगी। प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वाली इस यात्रा की तैयारियों एवं योजना को लेकर सिद्धपीठ लाता में रूपरेखा तय करते हुए आयोजन समिति का गठन कर दिया गया है।

 बारह वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित हो रही इस यात्रा से पूर्व वर्ष 2009 में देवरा यात्रा का आयोजन किया गया था। नीति घाटी के इस धार्मिक उत्सव मे सिद्धपीठ लाता नन्दा की डोली मुखोटों, पश्वा-देवी देवताओं के अवतारी पुरुष, व जागर वेत्ताओं के साथ नीति घाटी के हर गांव मे पहुंचती हैं। नन्दा देवरा यात्रा का प्रत्येक गांव में एक प्रवास होता है, लेकिन जेलम, मलारी तथा नीती मे विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं। इसलिए इन गांवों में तीन दिनों का प्रवास होता है। करीब 22 दिनों के भ्रमण कार्यक्रम में वापसी के दौरान लौंग, सूखी व भलगांव में प्रवास के उपरांत यात्रा नंदाष्टमी के पावन पर्व पर अपने मूल स्थान पर पहुंचती है। जहां भव्य नन्दा मेले का आयोजन होता है।

पौराणिक धार्मिक परंपरा के अनुसार बारह वर्षों में नीती घाटी भ्रमण से पूर्व देवरा यात्रा मार्गशीर्ष माह में निचले क्षेत्र सलूड-डूंगरा तक बुलावे पर आती हैं लेकिन पिछले 24 वर्षों से देवरा यात्रा इन गांवों में नहीं जा सकी और 2009 में भी देवरा यात्रा का आयोजन सिर्फ नीती घाटी में ही हुआ।

वर्ष 2022 में प्रस्तावित इस धार्मिक यात्रा को लेकर सिद्धपीठ लाता में आयोजित हुई बैठक में देवरा यात्रा की रूपरेखा तय करते हुए आयोजन समिति का गठन भी किया गया है। जिसके लिए डॉ मान सिंह राणा को अध्यक्ष, धीरेन्द्र गरूढ़िया को उपाध्यक्ष, लक्ष्मण बुटोला को सचिव तथा नन्दन सिंह रावत को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। बैठक में यह तय किया गया है कि नियुक्त किए गए पदाधिकारी 2022 में होने वाली नंदा देवरा यात्रा में जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्माण करेंगे। 

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