
फर्जी मुकदमों की जांच के लिये पुलिस आयुक्त ने किया था गठन
कानपुर। जमीनों पर कब्जे, वसूली को लेकर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वालों पर शिकंजा कसने के लिये पुलिस कमिश्नर के आदेश पर बनायी गयी एसआईटी के पास कई मामले पहुंचे लेकिन ज्यादातर मामलों में जांच के नाम पर कोई बड़ा फर्जीवाड़ा सामने नहीं आया है। इस कमेटी में पदेन सदस्यों से लेकर एसआईटी अध्यक्ष तक की जिम्मेदारी तो तय कर दी गयी लेकिन कितने फर्जी मुकदमों को लेकर शिकायत आयी किसमें क्या कार्रवाई हुई या पुलिस की फाइलों में दबकर रह गया है। फिलहाल अफसर ये तो कह रहे है एसआईटी चला रही है लेकिन कोई भी अफसर एसआईटी के सक्षम आयी शिकायतों के बारे में जानकारी होने पर गोलमोल जवाब दे रहे है। बता दे कि अशोक रावत ने पुलिस आयुक्त अखिल कुमार से मिलकर शिकायत की थी कि शहर में कई ऐसे लोग है जो जमीनों पर कब्जे, वसूली, समेत कई कृत्यों में लिप्त है इनका पूरा सिंडीकेट है जो विवादित मामलों में पाक्सो समेत संगीन मुकदमें दर्ज करा देता है। पुलिस मामला दर्ज करने के बाद नाम हटाने के नाम पर पैसा लेती है तो जिनके खिलाफ मुकदमा होता है वे बैकफुट पर आ जाते है इस तरह से जमीनों पर कब्जे, वसूली का सिंडीकेट चलता है।
मामला संगीन देखकर पुलिस आयुक्त ने एक एसआईटी का गठन किया था जिसमें तत्कालीन डीसीपी आशीष श्रीवास्तव को अध्यक्ष बनाया गया था उनके साथ एडीसीपी महेश कुमार, एडीसीपी अंजलि विश्वकर्मा, एडीसीपी मनोज कुमार पांडे समेत इंंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाहियों की टीम दी गयी थी।
्रकुछ मामले भी एसआईटी के पास पहुंचे थे जिनकी जांच की जा रही थी तत्कालीन डीसीपी आशीष श्रीवास्तव के ट्रांसफर के चलते एसआईटी का कार्य सुस्त हो गया। सूत्रों की माने तो कागजों में एसआईटी चल रही है लेकिन पिछले दो माह में कोई शिकायत नहीं आयी और न किसी आम आदमी को पता है कि शिकायत कहां करनी है। पहले पुलिस आयुक्त कार्यालय में ही कक्ष बनाया गया था लेकिन अब कक्ष में कोई एसआईटी टीम का सदस्य बनकर नहीं बैठ रहा है। फिलहाल इस मामले में एक एडीसीपी ने कहा एसआईटी चल रही है क्या और कितने मामले आये इसकी जानकारी नहीं है।००