विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार खतरे में है वैश्विक आर्थिक विकास, ये हैं कारण

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आर्थिक विकास खतरे में है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आर्थिक विकास साल 2022 में 4.1 प्रतिशत और 2023 में 3.2 प्रतिशत तक गिर जाएगा। यह गिरावट कोरोना के वेरिएंट से नए खतरे और मुद्रास्फीति, ऋण तथा आय असमानता में वृद्धि के कारण होगी। साल 2021 में वैश्विक आर्थिक विकास 5.5 प्रतिशत की दर पर रहा है।

विश्व बैंक की ताजी ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में एक मजबूत उभार के बाद, वैश्विक अर्थव्यवस्था COVID-19 वेरिएंट से नए खतरों और मुद्रास्फीति, ऋण तथा आय असमानता में वृद्धि के बीच एक स्पष्ट मंदी में प्रवेश कर रही है, जो उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के पटरी पर लौटने की राह को खतरे में डाल सकती है।

विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा, “विश्व अर्थव्यवस्था एक साथ COVID-19, मुद्रास्फीति और नीति अनिश्चितता का सामना कर रही है, जिसमें सरकारी खर्च और मौद्रिक नीतियां अनचार्टेड टेरिटोरी में हैं। बढ़ती असमानता और सुरक्षा चुनौतियां विकासशील देशों के लिए विशेष रूप से हानिकारक हैं।”

मलपास ने कहा, “अधिक देशों को अनुकूल विकास पथ पर लाने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय कदम और व्यापक राष्ट्रीय नीति प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है।”

विश्व बैंक ने कहा कि ऐसे समय में जब कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सरकारों के पास जरूरत पड़ने पर गतिविधियों को सपोर्ट करने के लिए नीति की कमी है, तब नए कोरोना प्रकोप, लगातार आपूर्ति-श्रृंखला की अड़चनें और मुद्रास्फीति के दबाव, तथा दुनिया के बड़े क्षेत्रों में उच्च वित्तीय कमजोरियां कठिन लैंडिंग के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और उभरती तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच मंदी विकास दर में व्यापक अंतर के साथ मेल खाएगी। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि 2021 में 5 प्रतिशत से घटकर 2022 में 3.8 प्रतिशत और 2023 में 2.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। हालांकि, उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में, विकास 2021 में 6.3 प्रतिशत से गिरकर 2022 में 4.6 प्रतिशत और 2023 में 4.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार, “2023 तक, सभी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने पूर्ण उत्पादन रिकवरी हासिल कर ली होगी जबकि उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन अपनी पूर्व-महामारी प्रवृत्ति से 4 प्रतिशत नीचे रहेगा।”

कई कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए झटका और भी बड़ा है। नाजुक और संघर्ष-प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं का उत्पादन उसकी पूर्व-महामारी प्रवृत्ति से 7.5 प्रतिशत कम होगा, और छोटे द्वीप राज्यों का उत्पादन 8.5 प्रतिशत नीचे होगा।

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