साकेत दरबार को बचाने में जुटे केडीए के रसूखदार चेहरे…कश्यपकांत की काली कमाई पर पर्दा क्यों ?

  • विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष के निजी सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप
  • साकेत दरबार की मुखबिरी के जरिए अकूत संपत्ति का शिकायती पत्र
  • जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का ऐलान, डीएम तक पहुंची बात

भास्कर ब्यूरो
कानपुर। साकेत दरबार के लिए काली करतूतों के मास्टरमाइंड की काली कमाई का पुलिंदा हाजिर करने वाले के किरदार पर आदतन शिकायतकर्ता का टैग चस्पा है, बावजूद मसला गंभीर है। विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष के निजी सचिव कश्यपकांत दुबे आरोपों को कठघरे में हैं। दावा है कि, विभागीय सांठगांठ के जरिए शताब्दी नगर में कार्नर का भूखंड हथिया लिया। खुद को पर्दे के पीछे रखते हुए पत्नी के नाम लिखापढ़ी कराई, लेकिन सरनेम मायके वाली और पति के स्थान पर पिता का नाम। सवाल लाजिमी है कि, क्लर्क ग्रेड पर नियुक्त कश्यपकांत दुबे आखिरकार प्लॉट खरीदने के लिए पौने दो करोड़ रुपए कहां से लाए। फिलहाल, मामले की जांच के लिए उपाध्यक्ष ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

कार्नर प्लाट और पत्नी का पुराना सरनेम
मौजूदा समय में केडीए उपाध्यक्ष के निजी सचिव कश्यपकांत दुबे हैं। कुछ समय पहले शताब्दी नगर- फेस-1 योजना में भूखंड संख्या ए-46 एचआईजी की रजिस्ट्री कश्यपकांत दुबे की पत्नी के नाम हुई है। शिकायतकर्ता श्रवण बाजपेई ने सवाल उठाया है कि, अव्वल विकास प्राधिकरण के कर्मचारी की पत्नी को कार्नर का भूखंड आवंटित हुआ है, ऐसे में विभागीय मिलीभगत की संभावना है। दूसरा सवाल है कि, लिपिक वर्ग में कार्यरत कर्मचारी ने वैधानिक आय के सीमित स्रोत के बावजूद केडीए के कोष में जमा करने के लिए एक करोड़ पिच्चहर लाख रुपए का जुगाड़ कैसे किया। श्रवण ने आशंका जताई है कि, अव्वल कश्यपकांत ने अवैध कमाई के जरिए कार्नर का प्लाट खरीदा है, अथवा केडीए के खाते में जमा धनराशि की रसीदों में फर्जीवाड़ा किया गया है। शिकायती-पत्र में कहा गया है कि, आवंटन पत्र को सार्वजनिक किया जाए, ताकि जनता को मालूम हो कि, शताब्दी नगर- फेस-1 योजना में भूखंड संख्या ए-46 एचआईजी का आवंटन कश्यपकांत की पत्नी प्रीति दुबे के नाम से हुआ था अथवा विवाह पूर्व नाम प्रीति पाण्डेय को।

रजिस्ट्री में पति की जगह पिता का नाम क्यों
आरोपों की फेहरिस्त के संदर्भ में कश्यपकांत का कहना है कि, प्लाट का आवंटन नियमानुसार लॉटरी से हुआ था, कोई विभागीय कृपा से नहीं। केडीए के खाते में जमा धन की रसीदों के बारे में दावा किया कि, बैंक खातों की डिटेल निकाली जाएगी तो सच सामने आएगा। अलबत्ता रजिस्ट्री के समय प्रीति दुबे के स्थान पर प्रीति पाण्डेय का नाम क्यों… इस सवाल पर कश्यपकांत का कहना है कि, आधार कार्ड में मायके का सरनेम लिखा था, लिहाजा मजबूरी थी। दूसरा सवाल था कि, पति के स्थान पर पिता का नाम क्यों, शायद खुद को पर्दे के पीछे रखने के इरादे से कश्यपकांत ने पत्नी के आगे पति के बजाय पिता का नाम दर्ज कराया है…. इस सवाल पर चुप्पी ने चुगली करते हुए दाल में काला का इशारा किया है। रजिस्ट्री के समय प्रीति पाण्डेय का पता 131, एलआईजी, बर्रा-4 लिखा है, जोकि वर्तमान में कश्यपकांत दुबे का निज-निवास है। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि, आधार कार्ड में शादी के बाद संशोधन नहीं किया गया है तो पता भी मायके वाला आधार कार्ड में चस्पा होगा। बावजूद, रजिस्ट्री में वर्तमान पता लिखा गया है।

तीन सदस्यीय कमेटी सच सामने लाएगी
शिकायती पत्र पर शुरुआती दौर में चुप्पी के बाद मीडिया में सुगबुगाहट हुई। इसी दरमियान, केडीए के तमाम अधिकारी-कर्मचारी के तार साकेत दरबार से जुड़ने लगे। मुखबिरी के जरिए शिकार को साकेत दरबार के सामने हाजिर करने के एवज में कृपा के किस्से गूंजने लगे तो केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच-आख्या मांगी है। कमेटी में केडीए सचिव अभय पाण्डेय, नगर नियोजक मनोज सिंह और विशेष कार्याधिकारी अजय कुमार शामिल हैं। मामले में प्रगतिशील कर्मचारी संघ के नेता राकेश रावत ने कहाकि, प्रकरण में सच्चाई है तो निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। साथ ही जांच-रिपोर्ट आने तक कश्यपकांत को तत्काल प्रभाव से निलंबित करना चाहिए।

कोट्स…
शिकायत मिली है और आरोप बेहद गंभीर है। जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। जांच-रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई होगी।
मदन सिंह गर्ब्याल, उपाध्यक्ष, केडीए

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