ड्रैगन के दखल के खिलाफ सड़कों पर उतरे नेपाली, गूंजे ‘चीन वापस जाओ’ के नारे

चीन के दबाव में आकर नेपाल अपनी पहचान और आजादी खोता जा रहा था. ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन को नेपाल के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी की पूरी छूट दे रखी थी. चीन नेपाल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा था. इसका मोहरा बने थे पीएम ओली, जिन्होंने हिन्दुस्तान के खिलाफ मुहिम छेड़ दी. ओली नेपाली संसद में नया नक्शा पास करवाया. इसमें भारत के लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बता दिया. इसके बाद ड्रैगन के इशारे पर पीएम ओली ने भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर विवाद खड़ा किया. हालांकि नेपाल की जनता ने पीएम ओली के इस कदम की खिलाफत की थी लेकिन ओली के सिर पर तो चीन की चमचागिरी करने की धुन सवार थी और उन्हें नहीं पता था कि ड्रैगन इस दौरान उसकी जमीन भी हड़प रहा है. और ये सच भी सामने आ गया.

नेपाल की मीडिया और राजनेताओं ने आरोप लगाया है कि चीन ने नेपाल के 150 हेक्टेयर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. इसके विरोध में नेपाल के लोग सड़कों पर उतरे लेकिन ओली सरकार ने ड्रैगन के दवाब में इस खबर को सिरे से खारिज कर दिया. वहीं इस सबको लेकर नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी परेशान थी. दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए थे. उन्होंने चीन की दखलंदाजी का पुरजोर विरोध किया तो चीन की राजदूत हाओ यांकी ने दोनों नेताओं के बीच सुलह कराई. उस समय योंकी अक्सर ओली के साथ बैठकों में नजर आती थी. ऐसे में आरोप लगने लगे कि नेपाली प्रधानमंत्री ओली चीनी राजदूत योंकी के इशारों पर नाचते हैं.

लेकिन इस बार पासा पलट गया है. पीएम ओली चारो खाने चित हो गए हैं. साथ ही चीन का खेल भी खत्म होता नजर आ रहा है. नेपाली कम्युनिष्ट पार्टी के शीर्ष पद से पीएम ओली को चलता कर दिया गया है. प्रचंड के हाथ में पार्टी की कमान आ गई है. ऐसे में चीनी राजदूत हाओ यांकी ने प्रचंड ने मिलकर सियासी संकट को सुलटाने की कोशिश की लेकिन उनका जादू प्रचंड पर नहीं चला. आरोप लगा कि योंकी प्रचंड पर डोरे डालने की कोशिश कर रही हैं. इसी तरह का आरोप योंकी पर पहले भी लग चुका है कि उसने ड्रैगन के इशारे पर पीएम ओली को अपने लटकों-झटकों में फंसा रखा था.

अब चीन के होश उड़े हुए हैं क्योंकि कहा जा रहा है कि ये जो पासा पलटा है, इसमें भारत का हाथ है. ऐसे में चीन को अपनी जमीन ख‍िसकती नजर आ रही है. यही वजह है कि जब राजदूत योंकी से बात नहीं बनी तो चीन ने आनन-फानन में अपने मंत्री को नेपाल भेजा है. चीन के सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के अंतरराष्‍ट्रीय विभाग के उप मंत्री गूओ येझोउ नेपाल पहुंचे हैं. और माना जा रहा है कि वे पीएम ओली और उनके विरोधी पुष्‍प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच विवाद को सुलझाने के लिए एक आखिरी कोशिश करेंगे.

वहीं, अब ड्रैगन की बढ़ती दखलअंदाजी ने नेपालियों का गुस्सा बढ़ा दिया है. जैसे ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष दूत नेपाल पहुंचे, उनका विरोध शुरू हो गया. सड़कों पर उतरे लोगों ने चीन विरोधी नारे लगाए और बैनर-पोस्टर भी लहराए. लोगों ने चीनी दूतावास के बाहर वापस भी प्रदर्शन किया. विरोध करने उतरे लोगों ने चीन के दखल को बंद करने के साथ उनकी कब्जाई जमीन को वापस करने की मांग की.

आपको बता दें कि ओली सरकार की सिफारिश पर नेपाल की संसद भंग हो चुकी है. अब नेपाल में नई संसद के लिए मध्यावधि चुनाव होंगे. यहां 30 अप्रैल को पहले चरण और 10 मई को दूसरे चरण के लिए मतदान किया जाएगा.

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