पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं को जबरन कबूलवाया जाता है इस्लाम: रिपोर्ट में हुआ खुलासा

पाकिस्तान में रिलिजियस माइनॉरिटीज सेक्सन के लगभग एक हजार लड़कियों को हर साल जबरन इस्लाम कबूल कराया जाता है. इसका मुख्य रूप से नाबालिग लड़कियां शिकार होती है.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की मानें तो कोरोना महामारी के दौरान यह काम और तेजी से हुआ है. पाकिस्तान में ऐसे तस्कर इंटरनेट पर खूब सक्रिय हैं. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के मुताबिक अक्सर शादी करने वाले पुरुष उम्र में कई गुना बड़े और पहले से शादीशुदा होते हैं.

अमेरिकी रक्षा विभाग ने पाकिस्तान को धार्मिक आजादी के उल्लंघन के लिए चिन्हीत करते हुए धार्मिक आजादी के लिए बदतर देश बताया है. लेकिन पाकिस्तान की सरकार इससे इनकार करती है. यह घोषणा अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग में किया गया है. आयोग के मुताबिक कम उम्र की अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई और सिख समुदाय की लड़कियों का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण के लिए अपहरण किया जाता है. इनकी जबरन शादी कराकर, बलात्कार किया जाता है.

जबरन धर्म परिवर्तन की जाने वाली ज्यादातर लड़कियां दक्षिणी सिंध प्रांत के गरीब हिंदू समुदाय से होती हैं. आमतौर पर शादी के लिए लड़कियां खोज रहे पुरुष या उनके परिवार लड़कियों को अगवा कर लेते हैं. कई बार तो ताकतवर जमींदार अपने बकाया कर्जे के लिए भी लड़कियों को उठवा लेते हैं. एक बार धर्मांतरण होने के बाद उनकी तुरंत ही शादी कर दी जाती है.

पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरणों की लगातार अनदेखी की जाती है, क्योंकि इसमें शामिल मौलवियों से लेकर मजिस्ट्रेट और भ्रष्ट पुलिस वालों की कमाई होती है.

ऐसी घटनाओ का लक्ष्य इस्लाम को बढ़ने के बजाए कुंवारी लड़कियां को पाकर उनका यौनशोषण करना है. इसमें गैर मुस्लिम लड़कियों को अपना शिकार बनाया. पाकिस्तान में भी रुढ़िवादी समाज है. ऐसी लड़कियां जिनका बलात्कार हुआ हो और शादी हुई हो बोझ के रूप में देखीं जाती है.

पाकिस्तान की 22 करोड़ की आबादी में अल्पसंख्यक मात्र 3.6 फीसद है. जो लोग जबरन धर्म परिवर्तन की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं उनपर ईशनिंदा जैसे आरोप लगा दिए जाते हैं.