यूपी की राजनीति और बाहुबली दोनों एक दूसरे के पूरक बन गए हैं. खासकर पूर्वांचल, जो बाहुबलियों की जन्मभूमि मानी जाती रही है. यहां एक से एक बाहुबलियों ने जरायम की दुनिया से विधानसभा तक का सफर तय किया है. 1980 के दशक से शुरू हुई सियासत में बाहुबलियों की एंट्री हर चुनाव में दिखती है. ऐसे में एक बार फिर बाहुबली नेताओं की धमाकेदार एंट्री हो गयी है. समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को 56 प्रत्याशियों की घोषणा की है, जिसमें बाहुबली अभय सिंह व रमाकांत यादव को टिकट दिया गया है.
वहीं बीजेपी और सपा के बीच अपराधियों को टिकट देने को लेकर जुबानी जंग जारी है. बीजेपी जहां नारा दिया है कि सपा के कुछ प्रत्याशी जेल में है तो कुछ बेल में. वहीं समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ व केशव मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुकदमे तो उनके ऊपर भी दर्ज थे. यही नहीं सुरेश राणा व संगीत सोम के सहारे भी सपा बीजेपी पर हमलावर है. इस बीच समाजवादी पार्टी ने अयोध्या जिले के गोसाईगंज सीट में बाहुबली अभय सिंह, आजमगढ़ की फूलपुरवाई सीट से रमाकांत को टिकट दिया है.
अयोध्या की गोसाईगंज सीट पर बाहुबली अभय सिंह उम्मीदवार
अयोध्या की गोसाईगंज सीट से सपा उम्मीदवार अभय सिंह ने 2012 में पहली बार विधान सभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. हालांकि 2017 का चुनाव वो हार गए थे. वैसे तो अभय सिंह के कई किस्से चर्चा में रहें है लेकिन धनंजय सिंह के बीच की अदावत ने अभय को बाहुबली नेता के रूप में स्थापित क दिया. यही नहीं मुख्तार अंसार से उनके करीबी रिश्तों ने भी अभय को चर्चा में रखा था. बीजेपी के विधायक रहे कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ था. जिसमें हत्या कांड के समय मुख्तार व अभय सिंह के बीच हुई बातचीत थी. यही नहीं बाहुबली पूर्व सांसद धनजंय सिंह को फंसाने के लिए पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेंद्र कालिया से खुद पर गोली चलवा कर धनंजय को फंसाने के पीछे अभय सिंह को ही सूत्रधार बताया गया था. फिलहाल अभय सिंह 2022 के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार अपनी किस्मत आजमाएंगे.
आजमगढ़ की फूलपुरवाई सीट से बाहुबली रमाकांत यादव को मिला टिकट
समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ की फूलपुरवाई सीट से बाहुबली रमाकांत यादव को प्रत्याशी बनाया है. रमाकांत ने निर्दलीय से राजनैतिक पारी शुरू की थी और उसके बाद वो प्रदेश की चारों प्रमुख पार्टियों में रहे हैं. उन्होंने सपा, बसपा, भाजपा होते हुए कांग्रेस तक पहुंचे और फिर उसी सपा में शामिल हो गए, जिससे वह दो बार सांसद और 2 बार विधायक रहे थे. रमाकांत चार-चार बार विधायक व सांसद रहें है. दो दशक पहले ठाकुर परिवार के 4 लोगों की हत्या के मामलें से चर्चा में आये रमाकांत की आज़मगढ़ जिले की सभी सीटों पर दबदबा माना जाता रहा है. यही नहीं अपने बाहुबल के चलते स्थानीय चुनावों में भी वो अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाते आये हैं. यही नहीं रेलवे व पीडब्ल्यूडी के ठेकों को लेकर रमाकांत और उनके विरोधियों के बीच कई बार शूटआउट हुए हैं.