रामायण कालीन नीतियों, मंत्रों और रामायण के सूत्रों को आधुनिकता की कसौटी पर कसने के लिए अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय रामायण रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना होगी। सीतामढ़ी में रामायण रिसर्च काउंसिल मां सीता की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्थापना के साथ ही मां सीता के जीवन दर्शन पर अनुसंधान करेगा। इसके साथ ही आइआइटी कानपुर और आइआइटी वाराणसी रामायण कालीन मंत्रों की ध्वनियों और रसायन सूत्रों पर अनुसंधान करेगा। इससे प्राचीन ज्ञान का उपयोग मानव कल्याण के लिए हो सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय रामायण रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना शीघ्र
अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के साथ ही कई अन्य प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यहां अंतरराष्ट्रीय रामायण रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की जा रही है। श्रीराम जन्मभूमि से सटे अमांवा राममंदिर परिसर में बन रहे इंस्टीटयूट में दुनिया भर में रामायण पर उपलब्ध विभिन्न भाषाओं की पांडुलिपियां संरक्षित होंगी। अमांवा राममंदिर के प्रमुख और पटना महावीर मंदिर के ट्रस्टी सेवानिवृत्त आइपीएस किशोर कुणाल इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। किशोर कुणाल के अनुसार विश्व के करीब 120 देशों में राम और रामायण की मान्यता है। 70 से अधिक देशों में रामलीला का मंचन होता है। इन सभी देशों की संस्कृतियों कासंरक्षण, वाल्मीकि रामायण से लेकर संस्कृत व अन्य भाषाओं की रामायण पर रिसर्च की यहां व्यवस्था होगी। तमिल, तेलगू, कन्नड़, हिंदी, समेत अन्य भाषाओं में मौजूद रामकथा पर शोध के साथ ही यहां रिसर्च स्कॉलर होंगे जो सभी विषयों पर तुलनात्मक अध्ययन करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा रामायण पुस्तकालय
इंस्टीट्यूट में रामकथा व रामायण का पुस्तकालय भी बनेगा। यहां इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, त्रिनिडाडा एवं टोबैगी, श्रीलंका समेत अन्य देशों में होने वाली रामायण व राम कथाओं का भी पुस्तकालय बनाया जाएगा।
श्रीराम पर मार्च में आएंगी दो पुस्तकें
इंस्टीट्यूट की पहली दो किताबें मार्च में प्रकाशित होंगी। पहली किताब का नाम रामो विग्रहवान धर्म और दूसरी किताब का नाम वाल्मीकि रामायण है। रामो विग्रहवान धर्म पुस्तक रामायण पर शोध करने का एक बड़ा आधार बनेगी।
मां सीता की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति सीतामढ़ी में लगेगी
उधर, रामायण रिसर्च काउंसिल सीतामढ़ी में माता सीता की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा लगाने जा रहा है। श्री भगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति 10 एकड़ के परिसर में मां सीता से जुड़ी चीजें विकसित करेगा। यह जानकारी काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र महाराज जो कि मध्यप्रदेश में नलखेड़ा स्थित बगलामुखी माता मंदिर प्रांगण के श्रीमहंत हैं, ने दी। मां सीता डॉट कॉम वेबसाइट के जरिए माता सीता से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज ने बताया कि पूरे विश्व में माता सीता के जीवन दर्शन का प्रसार किया जाएगा।