
प्रख्यात संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा नहीं रहे। शिवकुमार शर्मा ने 84 की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना बताया जा रहा है। हालांकि बीते 6 महीनों से वे किडनी की बीमारी से भी पीड़ित थे। पंड़ित शर्मा ने संगीत और संतूर वादन को एक अलग पहचान दी थी। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को लेकर उन्हें कई बड़े सम्मानों से भी नवाजा गया। पंडित शर्मा का जन्म जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था। पंडित शर्मा के निधन से संगीत जगत में शोक की लहर है।
5 वर्ष की उम्र में संगीत सीखना शुरू किया
पंडित शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी, 1938 को जम्मू में हुआ। उन्होंने पांच साल की उम्र से संगीत सीखना शुरू कर दिया था। शुरू में उन्होंने तबला बजाना सीखा और अपने पिता और गुरु की ओर से गायक होने का प्रशिक्षण लिया।
जब वे 12 वर्ष के थे, तब उन्होंने जम्मू के स्थानीय रेडियो स्टेशन पर प्रोग्राम देना शुरू किया। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और ये सपना देखा कि, शिवकुमार ऐसे पहले भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाएं।
Our cultural world is poorer with the demise of Pandit Shivkumar Sharma Ji. He popularised the Santoor at a global level. His music will continue to enthral the coming generations. I fondly remember my interactions with him. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 10, 2022
पीएम मोदी ने जताया शोक
पं. शिवकुमार शर्मा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनिया को भारी क्षति पहुंची है। उन्होंने संतूर को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।पिता का सपना शिवकुमार ने एक वर्ष में ही पूरा कर लिया। और 13 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने संतूर बजाना आरंभ किया। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय गायिका थीं जो बनारस घराने से संबंध रखती थीं।
इन फिल्मों में दिया संगीत
शिवकुमार शर्मा ने कई संगीतकारों जैसे जैकिर हुसैन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने हिंदी फिल्मों जैसे ‘सिलसिला’, लम्हे आदि के लिए संगीत भी बनाया।
उनके कुछ प्रसिद्ध एल्बमों में कॉल ऑफ द वैली, संप्रदाय, एलीमेंट्स: जल, संगीत की पर्वत, मेघ मल्हार, आदि हैं।
इन सम्मानों से नवाजा गया
शिवकुमार शर्मा को पद्मश्री, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, जम्मू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट, उस्ताद हाफिज अली खान पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, आदि जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हैं।