जहर से ना मरते तो प्लान-बी भी था तैयार

पुलिस के आतंक से माँ-बेटियों ने फांसी लगाने की भी कर रखी थी तैयारी — कहीं पुलिस थाने ना ले जाए, माँ-बेटियों ने जहर खाकर जीवनलीला की समाप्त — घर में बिखरे पड़े है पुलिस की क्रूरता के सुबूत

बागपत I छपरौली थाना क्षेत्र के बाछोड गांव में एक साथ तीन जिंदगियां पलभर में समाप्त हो गई। इन तीनों जिंदगियों की मौत का कारण बनी छपरौली थाना पुलिस। जैसे किसी आतंकी को पकड़ने के लिए कमांडो कार्यवाही को अंजाम दिया जाता है, ठीक उसी तरह से पुलिस ने बाछोड गांव में लड़की भगाने के आरोपी प्रिंस को पकड़ने के लिए घर में अंजाम दिया। युवक प्रिंस के चाचा के घर के सहारे पुलिसकर्मी और दरोगा नरेशपाल छत पर पहुँचे। सीढ़ियों का दरवाजा तोड़ पुलिस घर में अंदर दाखिल हुई तो घर में मौजूद प्रिंस की माँ अनुराधा उर्फ गीता, बहन स्वाति व प्रीति खाना खाने की तैयारी कर रहे थे। पुलिस के आते ही उन्होंने रोते बिलखते हुए यही गुहार लगाई कि हमें थाने ना ले जाओ, यहां प्रिंस नहीं है। बताया गया है कि उस समय घर की छत पर लड़की पक्ष के लोग भी मौजूद थे। जब पुलिसकर्मियों का आतंक ज्यादा बढ़ गया तो गीता ने दोनों बेटियों संग चूहे मारने वाला जहरीला पदार्थ ग्लास में घोला और मुंह में उड़ेल लिया। पुलिसकर्मी यह सब होता देखते रहे, लेकिन किसी ने उन्हें रोकने का प्रयास तक नहीं किया।
जब तीनों की हालत बिगड़ने लगी तो अफरा तफरी मच गई और आनन फानन में तीनों को पुलिस ने सीएचसी पर भर्ती कराया, यहां से उन्हें बड़ौत और फिर मेरठ रेफर कर दिया गया। बुधवार को स्वाति उम्र 18 वर्ष ने दम तोड़ दिया। शव गांव पहुँचा तो पुलिस के खिलाफ जमकर हंगामा भी हुआ। आरोपी दरोगा के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बाद स्वाति का अंतिम संस्कार किया गया। अभी स्वाति की चिता की राख ठंडी भी नहीं हुई थी कि सूचना आई कि गीता और प्रीति ने भी दम तोड़ दिया है। इस सूचना से गांव ही नहीं पूरा जनपद शोक में डूब गया। घर में महकसिंह के अलावा अब कोई नहीं बचा। बाछोड गांव में महकसिंह के घर की बात करें तो एक छोटे से कमरे और कुछ फ़ीट के आंगन में पुलिस की बर्बरता के सुबूत बिखरे साफ नजर आ जाते है। अभी भी घर में वह स्टील का ग्लास और कप पड़ा हुआ है जिसमें जहरीला पदार्थ घोलकर माँ-बेटियों ने पीकर अपनी जीवनलीला समाप्त की। घर में जगह-जगह जहरीला पदार्थ भी बिखरा हुआ है। चूल्हे की आग ठंडी पड़ी है और आसपास रोटियां भी बिखरी पड़ी हैं। पुलिस प्रताड़ना का कितना ख़ौफ़ माँ-बेटियों में था और वे थाने जाने से कितना डरे हुए थे, इस बात का प्रमाण इसी से मिलता है कि माँ-बेटियों ने जान देना ज्यादा उचित समझा। यदि जहरीले पदार्थ से वे बच भी जाती तो पंखे पर साड़ी से फांसी भी तैयार कर रखी थी। यह साड़ी अभी भी पंखे पर लटकी हुई है। इस ह्रदयविदारक घटना के बाद गांव शोक में डूबा हुआ है, गलियां सुनसान पड़ी हुई है और हर कोई इस घटना के लिए केवल पुलिस को दोषी ठहरा रहा है।

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