सीतापुर : पूजा कर सुहागिनों ने मांगा अखंड सुहागन रहने का आर्शीवाद

सुख, शांति, सौभाग्य की कामना के साथ मनाया गया वट सावित्री सोमावती अमावस्या पर्व

करीब 30 वर्ष बात मिला ऐसा संयोग

सीतापुर। जिले भर में सोमवार को सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना की और अखंड सौभाग्यवती रहने का आर्शीवाद मांगा। शहर में ताकड़नाथ मंदिर, जंगलीनाथ मंदिर समेत विभिन्न स्थानों पर सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना की वहीं अनेकों सुहागिनों ने घरों में ही रहकर पूजा अर्चना कर ली।

नैमिषारण्य संवाददाता के अनुसार इस दिन महिलाएं अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए निर्जला वृत रहकर विधिविधान से वट वृक्ष का पूजन किया। इस पर्व पर तीर्थ में महिलाओं द्वारा सुबह घरों के आसपास स्थित बरगद पेड़ के नीचे विधि-विधान से प्रसाद के रूप में थाली में गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, पांच प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर बरगद पेड़ के नीचे पूजा प्रारंभ हुई। पेड़ की जड़ में जल अर्पित किया गया। प्रसाद चढ़ाकर और धूप तथा दीप जलाकर व अंत में बरगद के पेड़ के चारों ओर मौली धागा लपेटकर पूजा-अर्चना संपन्न की गई। अंत में प्रसाद का वितरण किया गया। इसी प्रकार से मछरेहटा, संदना, मिश्रिख, महोली, हरगांव, लहरपुर, बिसवां, कमलापुर, सिधौली, महमूदाबाद, तंबौर, रेउसा, जहंगीराबाद, सांडा, सकरन आदि स्थानों पर भी विवाहिताओं ने पूजा अर्चना की और सुहागन रहने का आर्शीवाद मांगा।

सोमवती अमावस्या पर उमड़े श्रद्धालु

नैमिषारण्य-सीतापुर। तीर्थ नैमिषारण्य में आज जेष्ठ मास की सोमावती अमावस्या के पावन संयोग पर बड़ी संख्या में दूरदराज क्षेत्रो से आये श्रद्धालुओं ने आकर अमावस्या विधान के अंर्तगत तीर्थ में स्नान दर्शन और वैदिक रीति से पूजन पाठ किया। आज सुबह 3 बजे से ही श्रद्धालुओं ने प्राचीन चक्रतीर्थ और आदिगंगा गोमती के राजघाट, दशाश्वमेघ घाट, देवदेवेश्वर घाट पर स्नान का क्रम शुरू कर दिया था। स्नान के बाद बाद श्रद्धालुओं ने गोमती व चक्रतीर्थ के जल में पूजन के बाद इच्छानुसार दान धर्म किया। वहीं अमावस्या पर्व पर श्रद्धालुओं ने चक्र तीर्थ व गोमती नदी में स्नान, आचमन कर दान पूजन किया। इसके बाद नगर के प्रमुख मंदिर ललिता देवी, व्यास गद्दी, हनुमानगढ़ी, सूत गद्दी, शौनक गद्दी, बाला जी मन्दिर, कालीपीठ, सत्यनारायण सन्निधि आश्रम, देवदेवेश्वर आदि मंदिरों में दर्शन पूजन किया।

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